मोदी सरकार ने बिहार के दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को मंगलवार को मरणोपरांत भारत के सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित करने का एलान किया। इस संबंध में राष्ट्रपति भवन की ओर से एक विज्ञप्ति जारी की गई। यह एलान ऐसे समय किया गया है जब 24 जनवरी को कर्पूरी ठाकुर की 100वीं जयंती है।
उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने की मांग लंबे समय से उठ रही थी। मंगलवार को जेडीयू नेता केसी त्यागी ने ठाकुर को भारत रत्न देने के साथ-साथ उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी।
राष्ट्रपति भवन से जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, "राष्ट्रपति श्री कर्पूरी ठाकुर को (मरणोपरांत) भारत रत्न से सम्मानित करते हुए प्रसन्न हुए हैं।" कर्पूरी ठाकुर एक सुप्रसिद्ध समाजवादी प्रतीक हैं, जो बिहार में पिछड़े वर्गों के उत्थान के प्रयासों के लिए जाने जाते हैं।
कर्पूरी ठाकुर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को आरक्षण का लाभ प्रदान करने में अग्रणी थे क्योंकि उन्होंने 1977 से 1979 तक बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशों को लागू किया था।
कर्पूरी ठाकुर को “सामाजिक न्याय का प्रतीक” करार देते हुए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उन्हें भारत रत्न पुरस्कार हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का प्रमाण है।
पीएम मोदी ने एक्स पर लिखा, “मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रतीक, महान जन नायक कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न से सम्मानित करने का निर्णय लिया है और वह भी ऐसे समय में जब हम उनकी जन्मशती मना रहे हैं। यह प्रतिष्ठित सम्मान हाशिये पर पड़े लोगों के लिए एक चैंपियन और समानता और सशक्तिकरण के समर्थक के रूप में उनके स्थायी प्रयासों का एक प्रमाण है।”
उन्होंने कहा: “दलितों के उत्थान के लिए उनकी अटूट प्रतिबद्धता और उनके दूरदर्शी नेतृत्व ने भारत के सामाजिक-राजनीतिक ताने-बाने पर एक अमिट छाप छोड़ी है। यह पुरस्कार न केवल उनके उल्लेखनीय योगदान का सम्मान करता है बल्कि हमें एक अधिक न्यायपूर्ण और न्यायसंगत समाज बनाने के उनके मिशन को जारी रखने के लिए भी प्रेरित करता है।''