सीबीआई बनाम सीबीआई मामले में शुक्रवार को स्पेशल कोर्ट के सामने ही सीबीआई की अंदरूनी लड़ाई खुल कर सामने आई। मामले के पूर्व जांच अधिकारी एके बस्सी और मौजूदा जांच अधिकारी सतीश डागर भिड़ने को तैयार हो गए, जिस पर कोर्ट को हस्तक्षेप करना पड़ा। बस्सी ने कहा कि तत्कालीन स्पेशल डायेरक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ सबूत थे, जिन्हें मामले में क्लीन चिट दे दी गई। मामले में आरोप पत्र पर आज भी कोर्ट ने संज्ञान नहीं लिया। अब मामले की सुनवाई सात मार्च को होगी।
सीबीआई जज संजीव अग्रवाल की कोर्ट में आज सीबीआई द्वारा सीबीआई भ्रष्टाचार मामले में दायर किए गए आरोपपत्र पर संज्ञान लेने के लिए सुनवाई थी। जिसके लिए मामले के पहले जांच अधिकारी एके बस्सी को भी बुलाया गया था। कोर्ट जो बातें बस्सी ने अपनी केस डायरी में रिकार्ड की थी उनका आधार जानना चाहता था और उन्होंने क्या-क्या कार्रवाई की थी।
दोनों ने रखी अपना-अपना पक्ष
कोर्ट को बस्सी ने बताया कि जांच के दौरान तत्कालीन सीबीआई के स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना के खिलाफ सबूत थे, लेकिन उन्हें मामले की जांच से हटा दिया गया। इस पर सीबीआई के वर्तमान जांच अधिकारी सतीश डागर ने कहा कि इनकी जांच पक्षपात पूर्ण थी लिहाजा इन्हें हटाया गया था। इस पर बस्सी भड़क गए। उन्होंने कहा, "मैंने इन्हें बताया था कि अस्थाना के खिलाफ सबूत हैं साथ ही हमने इस मामले के आरोपी सतीश सना के यहां जब छापेमारी की थी तब भी हमे ऐसे कई सबूत मिले थे जो बताते थे कि राकेश अस्थाना और उनका ग्रुप तत्कालीन डायरेक्टर के खिलाफ साजिश रच रहा है। इसीलिए हमनें देवेंद्र प्रसाद को गिरफ्तार कर लिया था।"
शुरू से क्लीन चिट देना चाहती थी टीम
इस पर जांच अधिकारी सतीश डागर ने कहा, "हमने इन्हें कई बार पूछताछ के लिए बुलाया और सम्मन भी दिया, लेकिन ये नहीं आया और ना ही आज तक ऐसा कुछ बताया है।" इस पर बस्सी ने कहा कि ये जांच टीम पहले ही दिन से राकेश अस्थाना और अन्य को क्लीन चिट देना चाहती थी। दोनों अधिकारियों के बीच बढ़ते विवाद को देख कोर्ट ने उसमें हस्तक्षेप किया। कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि उनके सामने ऐसी बातें ना की जाएं। दोनों एक ही संस्थान से हो और यहां लड़ रहे हो। आप दोनों से बड़ा संस्थान है।
कोर्ट ने जताई थी नाराजगी
पिछली सुनवाई पर कोर्ट ने सीबीआई से पूछा कि जांच के दौरान सीबीआई के पूर्व स्पेशल डायरेक्टर राकेश अस्थाना का साइकोलॉजिकल और लाई डिटेक्टर टेस्ट क्यों नहीं कराया गया साथ ही जज संजीव अग्रवाल ने शुरुआत में जांच करने वाले अधिकारी अजय कुमार बस्सी को 28 फरवरी को अदालत में पेश होने और केस डायरी लाने को कहा था। मामले में सीबीआई की जांच पर कोर्ट ने पिछले सप्ताह नाराजगी जाहिर की थी और पूछा था कि जिन आरोपियों की इसमें बड़ी भूमिका है वे खुले क्यों घूम रहे हैं जबकि जांच एजेंसी अपने खुद के डीएसपी को गिरफ्तार कर चुकी है। जज ने कहा था कि आपने अपने ही डीएसपी देवेंद्र कुमार को गिरफ्तार कर उनका करियर क्यों खराब किया, जबकि प्रमुख खिलाड़ी को अभी भी गिरफ्तार नहीं किया गया है।
शिकायत पर किया था मामला दर्ज
सीबीआई ने अस्थाना और डीएसपी देवेन्द्र कुमार को 2018 में गिरफ्तार किया गया था और बाद में उन्हें जमानत दे दी गई थी। दोनों को मामले में आरोपी बनाने के पर्याप्त सबूत नहीं होने के कारण इनके नाम आरोप पत्र के कॉलम 12 में लिखे गए थे। सीबीआई ने हैदराबाद के कारोबारी सतीश सना की शिकायत के आधार पर अस्थाना के खिलाफ मामला दर्ज किया था। मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ 2017 के मामले में सना पर भी जांच चल रही है।
ये है सीबीआई बनाम सीबीआई मामला
सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा को सरकार ने 23 अक्तूबर 2018 की मध्यरात्रि को जबरन छुट्टी पर भेज दिया था। सरकार ने इसके साथ ही सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को भी छुट्टी पर भेजा गया था। ये दोनों अधिकारी एक दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा रहे थे। इसके अगले दिन ही वर्मा इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट आ गए। कोर्ट ने इस मामले में सीवीसी से सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में जांच भी करवाई थी लेकिन उस पर कोई फैसला नहीं लिया। कोर्ट ने कहा था कि हम सिर्फ यह देखेंगे कि सरकार को वर्मा पर कार्रवाई करने का अधिकार है या नहीं।