दिल्ली यूनिवर्सिटी के सेंट स्टीफेंस कॉलेज के अंदर बने चैपल (चर्च) के गेट पर कुछ अराजक तत्वों ने शुक्रवार देर रात 'मंदिर यहीं बनेगा' लिख दिया। इतना ही नहीं चैपल के बाहर लगे क्रॉस को भी नुकसान पहुंचाया गया है।
पीटीआई के मुताबिक, शुक्रवार देर शाम को छात्रों ने चैपल के गेट पर स्लोगन लिखा देखा था, जिसे शनिवार दोपहर तक हटाया नहीं गया था। दिल्ली यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के चलते कॉलेज में इन दिनों रेगुलर कक्षाएं नहीं चल रही हैं। हो सकता है इसलिए चैपल के गेट पर लोगों की नजर नहीं पड़ी होगी।
इस संबंध में एनएसयूआई ने भी बयान जारी किया है। एनएसयूआई के मीडिया इंचार्ज नीरज मिश्रा ने कहा, 'सेंट स्टीफेंस कॉलेज शिक्षा के क्षेत्र में एक चमकता सितारा है जो छात्रों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा देता है। यह कॉलेज छात्रों को शिक्षा के साथ-साथ एक सकारात्मक नजरिया भी देता है। यह घटना निंदनीय है और दोषी पाये जाने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।”
एबीवीपी ने भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की है। एबीवीपी के दिल्ली स्टेट सेक्रेटरी भारत कुमार ने कहा, “इसके लिए जो भी जिम्मेदार है उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। एबीवीपी इस घटना की निंदा करता है।”
डीयू की एग्जेक्यूटिव काउंसिल के सदस्य राजेश कुमार ने कहा, “हम इस घटना की निंदा करते हैं। वर्तमान सरकार के आने के बाद ऐसी घटनाओं में वृद्धि हुई है।”
मकबरे को कथित तौर पर मंदिर में बदला गया
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव के हुमायूंपुर गांव में एक मकबरे को कथित तौर पर मंदिर में बदलने का मामला सामने आया है। इस मामले में दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने संज्ञान लेते हुए रिपोर्ट तलब की है।
पीटीआई के मुताबिक, उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने संस्कृति एवं भाषा विभाग (एसीएल) की सचिव को आज रिपोर्ट जमा करने के निर्देश दिये हैं। उप मुख्यमंत्री ने सचिव को दिए अपने आदेश में कहा, ''धरोहर संपत्ति को नुकसान पहुंचाना कानून के खिलाफ है और एक गंभीर अपराध है। सचिव ( एसीएल ) घटना के ब्योरे और उनके द्वारा की गई कार्रवाई की जानकारी देते हुए विस्तृत रिपोर्ट सौंपे।''
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, इंडियन नैशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट ऐंड कल्चरल हेरिटेज (INTACH) के दिल्ली चैप्टर की संयोजक स्वपना लिडल ने कहा, ''यह जमीन कब्जाने का मामला है। सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी नहीं है। हम केवल मरम्मत करवाते हैं।''
नेशनल ट्रस्ट फॉर आर्ट एंड कल्चरल हेरिटेज के डायरेक्टर (प्रोजेक्ट्स) अमित कुमार कहते हैं, 1929-30 के दस्तावेज इसे मकबरा बताया गया है। मेरे हिसाब से यह एक ढांचा है और इसकी वैल्यू ये है कि यह 500 साल पुराना है।'
1929-30 document calls it tomb,to me it is a structure & its value is that its 500 yrs old: Amit Kumar,Director-Projects, INTACH(in white) on structure in Humayunpur village; locals say,'structure has been a temple for as long as we can remember,it was re-painted recently' #Delhi pic.twitter.com/HBdwozfSpH
— ANI (@ANI) May 5, 2018
सफदरजंग एनक्लेव रिहायशी इलाका माना जाता है। इसके बीच में कथित तौर पर तुगलक शासनकाल में बने मकबरे रो मार्च में सफेद और भगवा रंग से रंग दिया गया और मंदिर रख दी गई। दिल्ली सरकार ने इस मकबरे को स्मारक का दर्जा दिया था। पुरातत्व विभाग के सिटिजन चार्टर के मुताबिक, किसी स्मारक की मूल संरचना में बदलाव नहीं किया जा सकता है। रंगाई नहीं की जा सकती है।‘