ये वो कंपनियां हैं जो लम्बे वक्त से कारोबार नहीं कर रही थीं। इन कंपनियों में आधे से अधिक कंपनियां दिल्ली,मुंबई और हैदराबाद की हैं। दरअसल सरकार से लोकसभा में एक सवाल पूछा गया था कि क्या उन कंपनियों को बंद किया जा रहा है जिन्होंने पिछले कुछ सालों में बहुत कम कारोबार किया है और जो केवल लोन लेकर पैसा बनाने में लगी हैं।
इसके जवाब में कॉर्पोरेट मामलों के राज्यमंत्री अर्जुनराम मेधवाल ने कहा कि कंपनी अधिनियम के तहत सेल कंपनी शब्द परिभाषित नहीं है, लेकिन इस साल 12 जुलाई तक कंपनी अधिनियम की धारा 248 के तहत रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज (आरओसी) ने अपने रजिस्टर से 1,62,618 कंपनियों को निकाल दिया है। गौरतलब है कि आरओसी की धारा 248 उसे यह शक्ति देती है कि वह विभिन्न आधारों पर कंपनियों के रजिस्ट्रेशन को रद्द कर दे। इसमें एक नियम यह भी है कि अगर कोई कंपनी दो साल तक कोई व्यवसाय नहीं करती है तो उसका नाम रजिस्टर से हटाया जा सकता है। जिन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है उनमें से मुंबई से 33000, दिल्ली से 22863 और हैदराबाद से 20588 कंपनियां हैं। इसके साथ ही चेन्नै और बेंगलूरू से भी काफी कंपनियों का रजिस्ट्रेशन रद्द किया गया है।
गौरतलब है कि पिछले महीने ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि कर चोरी में शामिल 37,000 सेल कंपनियों का पता लगाया गया है और तीन लाख से ज्यादा कंपनियां संदेह के दायरे में है। इसके साथ ही उन्होंने कहा था कि सरकार ने एक ही झटके में 1 लाख से अधिक कंपनियों का पंजीकरण रद्द कर दिया है और 37,000 से अधिक एेसी फर्मों के खिलाफ कार्रवाई के लिए पहचान कर ली गई है।