देश में कोरोना के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। वहीं, कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही रेमेडिसविर दवा की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है। बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही रेमेडिसविर दवा के उत्पादन को बढ़ाने का फैसला किया है। साथ ही रेमडिसविर की कीमतों में कमी की गई है।
केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया ने कहा कि, बढ़ती मांग को देखते हुए सरकार ने कोरोना के इलाज में इस्तेमाल की जा रही रेमेडिसविर दवा के उत्पादन को बढ़ाने का फैसला किया है। उन्होंने बताया कि 12-13 मार्च को रेमेडिसविर दवा की उपलब्धता पर इसके निर्माताओं के साथ बैठक हुई। बैठक में दवा के उत्पादन को बढ़ाने और कम दामों पर सप्लाई करने के निर्णय लिए गए तो, कुछ शहरों से दवा की कालाबाजारी की शिकायत भी सामने आई है।
मंडाविया ने कहा, रेमेडिसविर के निर्माताओं ने इस सप्ताह के अंत तक दवा की कीमत 3500 रूपए से कम करने की इच्छा जताई है। मंत्रालय ने कहा, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण दवा की उपलब्धता पर नजर बनाए हुए है। वहीं कंपनियां एक महीने में लगभग 80 लाख शीशियों के उत्पादन की क्षमता बढ़ जाएगी। बाजार में रेमेडिसविर की कमी थी क्योंकि फरवरी में मामलों में कमी आने पर इसका उत्पादन घटा दिया गया था।
मंत्रालय ने कहा, राष्ट्रीय औषधि मूल्य निर्धारण प्राधिकरण दवा की उपलब्धता पर नजर बनाए हुए है। वहीं कंपनियां एक महीने में लगभग 80 लाख शीशियों के उत्पादन की क्षमता बढ़ जाएगी। मंडाविया ने कहा कि बाजार में रेमेडिसविर की कमी थी क्योंकि फरवरी में मामलों में कमी आने पर इसका उत्पादन घटा दिया गया था।
महाराष्ट्र, गुजरात और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में इस दवा की भारी कमी है। अब राष्ट्रीय दवा नियंत्रक और रसायन और उर्वरक मंत्रालय ने हितधारकों के साथ बैठक की है और निर्माताओं से रेमेडिसवायर के उत्पादन को मजबूत करने के लिए कहा है। मंत्रालय के मुताबिक, देश में इस वक्त रेमेडिसविर के कुल 7 मैन्यूफेक्चरर्स हैं। अभी एक महीने में 38.80 लाख इंजेक्शन का उत्पादन होता है। 6 और कंपनियों को इसके उत्पादन की मंजूरी दी गई है। इससे 10 लाख इंजेक्शन हर महीने और बनाए जा सकेंगे।