केद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को कर्ज संकट से जूझ रहे लक्ष्मी विलास बैंक (एलवीबी) को डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) के साथ विलय को मंजूरी दे दी। नेशनल इनवेस्टमेंट ऐंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड (एनआईआईएफ) में 6,000 करोड़ रुपये के निवेश को भी मंजूरी दी गयी है।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में केन्द्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि अब जमाकर्ताओं पर लक्ष्मी विलास बैंक से अपने पैसे निकालने पर किसी तरह की रोक नहीं होगी। विलय के फैसले से बैंक के करीब 20 लाख जमाकर्ताओं और लगभग चार हजार कर्मचारियों को राहत मिलेगी। बैंक की हालत खराब करने के लिए दोषी लोगों पर कार्रवाई की जाएगी और बैंक के किसी भी कर्मचारी की छंटनी नहीं होगी।
जावडेकर ने बताया कि कैबिनेट ने नेशनल इनवेस्टमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर फंड में 6000 करोड़ रुपये के निवेश को मंजूरी इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट के लिए दी । .इसके साथ हीी मंत्रिमंडलीय समिति ने एटीसी टेलीकॉम कंपनी की करीब 12 प्रतिशत शेयर खरीदने के लिए एटीसी एशिया पैसिफिक के 2,480 करोड़ रुपये के एफडीआई प्रस्ताव को को भी हरी झंडी दे दी है।
बता दें कि लक्ष्मी विलास बैंक को सरकार ने मोरेटोरियम में डालते हुए 25 हजार रुपये की निकासी तय करने समेत उस पर 16 दिसंबर तक के लिए कई तरह की पाबंदिया लगा दी थी। रिजर्व बैंक ने लगातार वित्तीय गिरावट को देखते हुए बैंक का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया था। बैंक के बढ़ते एनपीए और इसे चलाने में आ रही कठिनाइयों के बीच केन्द्र सरकार ने डीबीएस बैंक इंडिया लिमिटेड (डीबीआईएल) के साथ विलय करने को कहा था।