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सरकार ने मानी कॉलेजियम की सिफारिश, जस्टिस जोसेफ बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के जज

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की कॉलेजियम को सिफारिश को...
सरकार ने मानी कॉलेजियम की सिफारिश, जस्टिस जोसेफ बनेंगे सुप्रीम कोर्ट के जज

उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की कॉलेजियम को सिफारिश को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट भेजे जाने का फैसला लंबे समय से लटका हुआ था।

इसके अलावा दो और जजों मद्रास हाईकोर्ट की चीफ जस्टिस इंदिरा बनर्जी और ओडिसा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस विनीत शरण की भी सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति की कॉलेजियम की सिफारिश को सरकार ने मंजूर कर लिया है।

जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति संबंधित सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली कॉलेजियम ने 10 जनवरी को की थी। तब  से लेकर अब तक यह मामला अधर में लटका पड़ा था। इस दौरान सरकार ने कई बार कॉलेजियम की सिफारिश को नामंजूर भी किया था।

इससे पहले केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल को जस्टिस के एम जोसेफ को पदोन्नति देने संबंधी सिफारिश की फाइल पुनर्विचार के लिये कॉलेजियम को लौटा दी थी। केंद्र ने वरिष्ठता के आधार का सवाल उठाया था। केंद्र का कहना था कि दूसरे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और जस्टिस जोसेफ से दूसरे वरिष्ठ जजों की वरिष्ठता दरकिनार नहीं होनी चाहिए। कॉलेजियम से देश के दूसरे हिस्से के प्रतिनिधित्व पर भी ध्यान देने की बात कही थी। जस्टिस जोसेफ केरल से आते हैं और यहां से पहले से सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस मौजूद हैं।

 

इस फैसले से आए थे सुर्खियों में

 

हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस के एम जोसफ और जस्टिस बी के बिष्ट की पीठ ने मार्च 2016 में सिंगल बेंच के फैसले को उचित मानते हुए उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन को अवैध करार दिया था। इस दौरान कोर्ट ने राष्ट्रपति शासन लगाए जाने के खिलाफ तीखी टिप्पणियां भी की थीं। मार्च 2016 को कांग्रेस के नौ विधायकों ने पार्टी से बगावत कर दी थी। इसके बाद तत्कालीन हरीश रावत की सरकार अल्पमत में आ गई थी। विपक्ष के नोटिस पर बहुमत के लिए तय फ्लोर टेस्ट की तारीख 27 मार्च 2016 से पहले ही केंद्र सरकार ने राष्ट्रपति शासन लगा दिया था। इसलिए ऐसा माना जा रहा था कि मोदी सरकार उसी का बदला लेने के लिए जस्टिस जोसेफ की सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति संबंधित कॉलेजियम की सिफारिश मंजूर नहीं कर रही है।

 

चार साल रहे उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस

 

उत्तराखंड हाईकोर्ट में जस्टिस जोसेफ का चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यकाल अब तक के सभी जजों से  अधिक रहा है। वे चार साल तीन दिन तक चीफ जस्टिस रहे। 31 जुलाई 2014 को उन्होंने उत्तराखंड हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्ति ली थी।  

 

17 जून 1958 को जन्मे जस्टिस केएम जोसेफ की शुरूआती शिक्षा केंद्रीय विद्यालय कोच्चि तथा बाद चेन्नई तथा गर्वमेंट लॉ कालेज ऐरनाकुलम से हुई थी। जस्टिस जोसेफ का एडवोकेट के रूप में 12  जनवरी 1982 को दिल्ली में रजिस्ट्रेशन हुआ था। उन्होंने सिविल और अन्य वादों में पैरवी के साथ अपना कैरियर शुरू किया। जस्टिस जोसेफ ने 1983 को केरल हाईकोर्ट में वकालत शुरू की। वे वहां के हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन के स्थायी सदस्य भी रहे। जस्टिस जोसेफ की नियुक्ति केरल हाईकोर्ट के जज के तौर पर 14 अक्तूबर 2004 को हुई।

 

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