कोरोना वायरस के चलते ईरान में रह रहे भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द भारत लाने के लिए उनके माता-पिता की ओर से याचिका दायर की गई है। मामले पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। अगली सुनवाई 11 मार्च को होगी।
इन दिनों ईरान कोरोना वायरस से प्रभावित है। भारत के कई छात्र वहां रहकर पढ़ाई कर रहे हैं। इन्हें ईरान से निकालने की याचिका पर जस्टिस आई ए मेहता ने गृह, विदेश मंत्रालय, स्वास्थ्य और विमानन मंत्रालय को नोटिस जारी किया और उनसे छात्रों को बाहर निकालने के लिए उनके द्वारा उठाए जा रहे कदमों की स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।
बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की मांग
मंत्रालयों की ओर से पेश हुए केंद्र सरकार के वकील अनुराग अहलूवालिया ने कहा कि उठाए जा रहे कदमों पर स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी। याचिका में फंसे हुए छात्रों को निकालने तक बुनियादी चिकित्सा सहायता और सुरक्षा सामग्री जैसे मास्क और सैनिटाइजर प्रदान करने के लिए विदेश मंत्रालय को दिशा-निर्देश दिए जाने की मांग भी की गई है।
वकील मिरियम फोजिया रहमान के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि विभिन्न ईरानी शहरों में कोरोना वायरस संक्रमण का पता चलने के बाद, वहां के कई विश्वविद्यालयों ने कॉलेजों और छात्रावास की सुविधाओं को बंद करने और परीक्षाओं को भी रद्द करने का फैसला लिया है। इसमें कहा गया है कि इनमें जम्मू और कश्मीर के कुछ छात्रों को अपने देशों में लौटने की सलाह दी गई है।
दूतावास से नहीं मिली मदद
याचिका में कहा गया कि हालांकि, भारतीय छात्र "हैरान" थे, जब उन्हें पता चला कि ईरान से भारत के लिए कोई उड़ान नहीं थी। ईरान में भारतीय दूतावास से सहायता लेने के सभी प्रयास "विफल" रहे हैं। दलील में कहा गया है कि सरकार ने हाल ही में चीन, जापान और इटली से भारतीय छात्रों को सुरक्षित निकालने के लिए विशेष उड़ानों की व्यवस्था की थी। भारत से अनुरोध किया गया है कि ईरान में फंसे लोगों के लिए भी इसी तरह के कदम उठाए जाएं।