दिल्ली हाई कोर्ट ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा दायर मानहानि के मामले में निचली अदालत की कार्यवाही पर बुधवार को रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति दिनेश कुमार शर्मा ने आदेश दिया कि इस मामले में तिवारी के खिलाफ कोई और कदम नहीं उठाया जाएगा। इसके साथ ही उन्होंने मामले को अक्टूबर में सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया।
उच्च न्यायालय ने जेल में बंद आम आदमी पार्टी (आप) नेता सिसोदिया को भी नोटिस जारी किया और निचली अदालत के 28 नवंबर, 2019 के आदेश को चुनौती देने वाली तिवारी की याचिका पर उनसे जवाब मांगा। निचली अदालत के आदेश में तिवारी और अन्य को मामले में आरोपी के तौर पर तलब किया गया था। सिसोदिया ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के लिए छह लोगों के खिलाफ मानहानि की एक शिकायत दर्ज कराई थी।
इससे पहले, उच्च न्यायालय ने मामले में भाजपा सांसदों हंस राज हंस और प्रवेश साहिब सिंह वर्मा, पूर्व विधायक मनजिंदर सिंह सिरसा और पार्टी प्रवक्ता हरीश खुराना के खिलाफ निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी थी।
आज हुई सुनवाई के दौरान, तिवारी की ओर से पेश वकील बांसुरी स्वराज ने कहा कि उनकी विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) का फैसला करते समय उच्चतम न्यायालय ने केवल दंड प्रक्रिया संहिता के तहत मंजूरी देने के विषय पर गौर किया था और उच्च न्यायालय के समक्ष यह नयी याचिका सुनवाई योग्य है क्योंकि परिस्थितियां अलग हैं।
उन्होंने दलील दी कि उच्च न्यायालय ने छह आरोपियों में से चार के खिलाफ पहले ही निचली अदालत की कार्यवाही पर रोक लगा दी है, जबकि पांचवें आरोपी - भाजपा नेता विजेंद्र गुप्ता के खिलाफ कार्यवाही को शीर्ष अदालत ने रद्द कर दिया था। उन्होंने कहा कि केवल मौजूदा याचिकाकर्ता (तिवारी) ही बाकी हैं और उनके खिलाफ कार्यवाही जारी रखने से कोई मकसद नहीं पूरा होगा।
सिसोदिया के वकील ऋषिकेश कुमार ने इस आधार पर याचिका का विरोध किया कि परिस्थितियों में कोई अंतर नहीं आया है। उन्होंने तिवारी की याचिका को "कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग" करार दिया।
सिसोदिया ने मनोज तिवारी, हंस राज हंस, प्रवेश वर्मा, मनजिंदर सिंह सिरसा, विजेंद्र गुप्ता और हरीश खुराना के खिलाफ ‘‘भ्रष्टाचार के झूठे आरोप’’ लगाने के विरोध में शिकायत दर्ज कराई थी। भाजपा नेताओं ने दिल्ली सरकार के स्कूलों की कक्षाओं के निर्माण की ‘‘अधिक लागत’’ को लेकर आरोप लगाए थे। सिसोदिया उस समय दिल्ली सरकार में शिक्षा मंत्री भी थे।
निचली अदालत में पेश होने के बाद आरोपियों को जमानत दे दी गयी थी।