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कर्नाटक हाईकोर्ट में ‘हिजाब’ मामले में पूरी हुई सुनवाई, पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा

कर्नाटक हाई कोर्ट ने ‘हिजाब’ मामले में शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।...
कर्नाटक हाईकोर्ट में ‘हिजाब’ मामले में पूरी हुई सुनवाई,  पीठ ने फैसला सुरक्षित रखा

कर्नाटक हाई कोर्ट ने ‘हिजाब’ मामले में शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने कहा, ‘‘सुनवाई पूरी हुई, आदेश सुरक्षित रखा जाता है।’’ अदालत ने याचिकाकर्ताओं को लिखित दलीलें (यदि कोई हो) देने को भी कहा। पिछले 11 दिनों से हिजाब विवाद को लेकर सुनवाई जारी थी।

मुख्य न्यायाधीश अवस्थी, न्यायमूर्ति कृष्णा एस. दीक्षित और न्यायमूर्ति जे. एम. काजी की पीठ का गठन नौ फरवरी को किया गया था और इसने संबंधित याचिकाओं की रोजाना आधार पर सुनवाई की गई। कुछ लड़कियों ने याचिकाओं में कहा था कि जिन शैक्षणिक संस्थानों में ‘यूनिफॉर्म’ लागू हैं, उनमें उन्हें हिजाब पहनकर जाने की अनुमति दी जाए।

हाई कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि उसने हिजाब विवाद के पीछे कट्टरपंथी संगठनों की भूमिका के बारे में राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी है। पिछले महीने तटीय जिला मुख्यालय शहर उडुपी से उठकर विवाद के कर्नाटक के अन्य हिस्सों में फैल गये इस विवाद की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) एवं राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) से जांच कराने का अनुरोध किया है। मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी ने उपाध्याय के वकील सुभाष झा से कहा, ‘‘हम पहले ही सरकार से रिपोर्ट मांग चुके हैं और हम आपकी बातों पर गौर करेंगे।’’

पिछले साल दिसम्बर में उडुपी में एक प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज में ड्रेस कोड का उल्लंघन करने के लिए कुछ लड़कियों को कक्षा में प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी। हिजाब के कारण प्रवेश नहीं पाने वाली छह लड़कियां प्रवेश पर प्रतिबंध के खिलाफ कैम्पस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीपीआई) की ओर से एक जनवरी को आयोजित संवाददाता सम्मेलन में शामिल हुई थीं। इसके बाद छात्रों ने विरोधस्वरूप केसरिया शॉल रखना शुरू कर दिया था।

अंतरिम आदेश में, पीठ ने सरकार से कहा था कि वह उन शैक्षणिक संस्थानों को फिर से खोले, जो आंदोलन से प्रभावित थे, और अदालत द्वारा अंतिम आदेश जारी किए जाने तक छात्रों को धार्मिक प्रतीक वाले कपड़े पहनने से रोक दिया गया था।

एक कॉलेज के प्राचार्य ने कहा, "हिजाब पहनने को लेकर संस्थान का कोई नियम नहीं है, क्योंकि पिछले 35 सालों में किसी ने भी कक्षा में इसे नहीं पहना था। मांग कर रही छात्राओं को बाहरी ताकतों का समर्थन प्राप्त था।"

गुरुवार की सुनवाई के दौरान अनुच्छेद-25 के दायरे तथा व्यापकता और उसमें दखल की गुजाइंश पर भी बहस हुई। इसके साथ ही मजहबी परंपराओं में हिजाब की अनिवार्यता पर भी सवाल-जवाब हुए। याचिकाकर्ताओं के वकील ने हिजाब पहनने की आदत होने के कारण छूट देने का आग्रह किया तो पीठ ने उनसे पूछा कि किसी संस्थान में जहां एक समान यूनिफॉर्म लागू है, वहां हिजाब की छूट कैसे दे सकते हैं?

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