देश भर में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं ने केंद्र सरकार काफी गंभीरता से लिया है। सरकार ने मॉब लिंचिंग और भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं से प्रभावी ढंग से निपटने के तरीकों और कानूनी ढांचे का सुझाव देने के लिए सोमवार को दो उच्च स्तरीय समितियों का गठन किया। एक कमेटी गृह मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में और दूसरी केंद्रीय गृह सचिव राजीव गाबा के नेतृत्व में गठित की है। सरकार ने यह कदम सुप्रीम कोर्ट द्वारा इस मामले में कानून बनाने और कार्यवाही करने के निर्देश मिलने के एक सप्ताह बाद उठाया है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद सभी राज्यों को भीड़ की हिंसा और लिंचिंग से निपटने के लिए कानून के तहत कड़े कदम उठाने के लिए कहा गया।
गृह सचिव के नेतृत्व वाली कमेटी में न्याय, कानून, विधायी मामलों और सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के सचिवों को रखा गया है। कमेटी चार सप्ताह में अपनी सिफारिशें सौंपेगी।
सरकार ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) भी गठित किया है। यह मंत्री समूह उच्च स्तरीय कमेटी द्वारा दी गई सिफारिशों पर विचार करेगा। इसके बाद इन सिफारिशों को प्रधानमंत्री को सौंपा जाएगा। इस कमेटी में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, रोड ट्रांसपोर्ट मंत्री नितिन गडकरी, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री थावर चंद गहलोत को रखा गया है।
गौरतलब है कि हाल के दिनों में भीड़ द्वारा लोगों की हत्या किए जाने की घटनाएं काफी बढ़ गई हैं। ज्यादातर लोग गौ तस्करी और बच्चा चोरी के आरोप में मारे गए हैं। हाल की घटना राजस्थान के अलवर में हुई है। यहां लोगों ने रकबर खान (अकबर खान) नाम के शख्स की गोहत्या के शक में काफी पिटाई की थी। बाद में इसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद मॉब लिंचिंग को लेकर फिर से तनाव व्याप्त हो गया है।