सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने सोमवार को कहा कि न्याय का मानवीय चेहरा और मानवीय वैल्यू होना चाहिए। मैं कभी भी लोगों को इतिहास के आधार पर नहीं परखता। मैं हमेशा लोगों को उनके कर्म और नजरिए के आधार पर परखता हूं।
मंगलवार को चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा रिटायर हो जाएंगे। कार्यकाल के अंतिम दिन सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की ओर से आयोजित विदाई समारोह में चीफ जस्टिस ने कहा कि भारतीय न्यायपालिका पूरी दुनिया में सबसे मजबूत है और युवा वकील हमारी पूंजी हैं। उनके अंदर न्यायशास्त्र के नए आयामों को विकसित करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि हमलों के बावजूद हमारी न्यायपालिका मजबूती से खड़ी है। उन्होंने कहा कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था दुनिया में सर्वश्रेष्ठ है। मैंने भारतीय न्यायपालिका का संबोधन बदल कर हमारी न्यायपालिका कर दिया है। समता के साथ न्याय यानी 'जस्टिस विद इक्विटी' तब सार्थक होगा जब देश के सुदूर इलाके के हर व्यक्ति को न्याय मिलेगा।
पुल का काम करती है बार एसोसिएशन
चीफ जस्टिस ने बार एसोसिएशन की भूमिका पर भी चर्चा करते हुए कहा कि जब भी बार एसोसिएशन किसी जज को जमीनी वास्तविकता से जोड़ता है, तो यह बेहद मजबूत पुल होता है। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि जज वास्तविकता से परिचित नहीं होते हैं, लेकिन मैं उस पुल की बात कर रहा हूं, जिसकी जरूरत जोड़ने के लिए होती है। ये हमें जोड़ता है और इसकी अहमियत है।
इस मौके पर चीफ जस्टिस डेजिग्नेटेड रंजन गोगोई भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने हमेशा व्यक्ति की चुनने और इच्छा जाहिर करने की आजादी को कायम रखा है।
भारत के होने वाले मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई का कहना है कि सच्ची देशभक्ति संवैधानिक नैतिकता के स्पर्श पर विश्वासों का मूल्यांकन कर रही है। गोगोई ने कहा, 'उन्होंने चुनने और व्यक्त करने के लिए व्यक्ति की आजादी को बरकरार रखा है. शक्ति वाहिनी, शाफिन जहां और नवतेज जौहर जैसे मामलों में अपनी पसंद का साथी चुनने के लिए व्यक्ति की स्वतंत्रता शामिल है, जिसे समाज ने स्वीकार नहीं किया।' जस्टिस रंजन गोगोई तीन अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट के अगले चीफ जस्टिस के तौर पर कार्यभार संभालेंगे।
2011 में बने थे सुप्रीम कोर्ट के जज
जस्टिस दीपक मिश्रा 1996 में उड़ीसा हाईकोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त किए गए। इसके बाद उनका ट्रांसफर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट में हुआ। वे 1997 में स्थायी तौर पर जज नियुक्त किए गए। जस्टिस मिश्रा ने 2009 में पटना हाईकोर्ट और 2010 में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस का पद संभाला। सुप्रीम कोर्ट में जज के तौर पर उनकी नियुक्ति 2011 में हुई और 28 अगस्त 2017 को उन्होंने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया का कार्यभार संभाला।