दासौ (Dassault) एविएशन के सीईओ एरिक ट्रेपियर ने राफेल मामले पर एक बार फिर बयान दिया है। एएनआई के साथ बातचीत में उन्होंने कहा है कि अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप को उन्होंने ही चुना था। इससे पहले ट्रेवियर ने कहा था कि भारत सरकार की तरफ से रिलायंस ग्रुप को चुनने के लिए कोई दबाव नहीं डाला गया था। साथ ही उन्होंने कहा कि हमें विमानों के दाम 9 फीसदी कम करने पड़े।
उन्होंने कहा, ‘मैं झूठ नहीं बोलता। जो सच मैंने पहले बोला और जो बयान मैंने दिए वो सब सच हैं। झूठ बोलने के लिए मुझे नहीं जाना जाता। सीईओ की मेरी पोजीशन में आप झूठ नहीं बोलते।‘
‘हमने अंबानी को खुद ही चुना’
ट्रेपियर ने कहा, ‘हमने अंबानी को खुद ही चुना। हमारे पास रिलायंस के अलावा पहले से ही 30 पार्टनर हैं। इंडियन एयर फोर्स डील का समर्थन कर रही है क्योंकि उसे अपनी रक्षा सर्वोच्च रखने के लिए फाइटर प्लेन चाहिए।‘
उन्होंने कहा, 'हम रिलायंस में पैसे नहीं डाल रहे हैं। पैसा दासौ-रिलायंस में जा रहा है। जहां तक डील के इंडस्ट्रियल वाले हिस्से की बात है, वहां दासौ के इंजीनियर और कर्मचारी अगुआई कर रहे हैं।‘
'9 फीसदी कम करने पड़े विमान के दाम'
विमान के दाम पर दासौ के सीईओ ने कहा, '36 फ्लाईअवे का दाम उतना ही है जब आप 18 फ्लाईअवे से इसकी तुलना करते हैं। 18 का दोगुना 36 है। जहां तक मुझे लगता था, दाम भी दोगुने होने चाहिए थे। लेकिन चूंकि यह सरकार से सरकार के बीच समझौता था, मुझे 9 फीसदी दाम कम करने पड़े।‘
'अगले साल सितंबर तक होगी पहली डिलीवरी'
उन्होंने बताया, 'इंडियन एयरफोर्स को पहली डिलीवरी अगले साल सितंबर तक हो जाएगी, जो कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से है। यह पूरी तरह सही समय पर है। मुझे पता है कि कुछ विवाद हुए हैं और मुझे पता है कि यह एक तरह से घरेलू राजनीतिक झगड़ा है। चुनाव के वक्त ऐसा कई देशों में होता है। जो मेरे लिए महत्वपूर्ण है वह सच है और सच यह है कि डील पूरी तरह साफ है और इंडियन एयरफोर्स डील से खुश है।'
‘हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे’
कांग्रेस के आरोपों पर ट्रेपियर ने कहा, 'कांग्रेस के साथ लंबा अनुभव है। भारत के साथ हमारी पहली डील नेहरू के समय 1953 में हुई थी। बाद में दूसरे प्रधानमंत्रियों के साथ हुई। हम किसी पार्टी के लिए काम नहीं कर रहे हैं। हम इंडियन एयरफोर्स और भारत सरकार को रणनीतिक प्रोडक्ट मुहैया करा रहे हैं। यही सबसे महत्वपूर्ण है।‘
कांग्रेस राफेल सौदे में में भारी अनियमितताओं का आरोप लगातार लगा रही है और कह रही है कि सरकार 1670 करोड़ रुपए प्रति विमान की दर से राफेल खरीद रही है जबकि यूपीए सरकार के समय इस सौदे पर बातचीत के दौरान इस विमान की कीमत 526 करोड़ रुपए प्रति राफेल तय हुई थी। कांग्रेस दासौ के ऑफसेट पार्टनर के तौर पर रिलायंस डिफेंस के चयन को लेकर भी सरकार को निशाना बना रही है।
We chose Ambani by ourselves. We already have 30 partners other than Reliance. The IAF is supporting the deal because they need the fighter jets for their own defence to be at the top: Dassault CEO Eric Trappier on allegations of corruption in the Reliance-Dassault JV deal pic.twitter.com/GPzjadkWz8
— ANI (@ANI) November 13, 2018