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नायपॉल के निधन पर बोले सलमान रुश्दी- मुझे एक बड़े भाई को खोने जैसा दुख

साहित्य का नोबल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के मशहूर लेखक वीएस नायपॉल ने रविवार तड़के अपनी आखिरी...
नायपॉल के निधन पर बोले सलमान रुश्दी- मुझे एक बड़े भाई को खोने जैसा दुख

साहित्य का नोबल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के मशहूर लेखक वीएस नायपॉल ने रविवार तड़के अपनी आखिरी सांस ली। 85 साल की उम्र में लंदन स्थित उनके घर में उनका निधन हुआ। वीएस नायपॉल यानी विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल का जन्म 17 अगस्त सन 1932 को त्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था।
उनके निधन पर साहित्य से लेकर राजनीतिक क्षेत्र के लोगों ने शोक व्यक्त किया है।

निबंधकार सलमान रुश्दी ने भी वीएस नायपॉल के देहांत पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'हम हमेशा जीवन, राजनीति और साहित्य के बारे में असहमत रहे, लेकिन आज मुझे एक बड़े भाई को खोने जैसा दुख है।'

ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, मशहूर लेखक और नोबेल विजेता वीएस नायपॉल के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उपनिवेशवाद, पलायन और ब्रिटिश साम्राज्यवाद पर उनका काम सोचने पर मजबूर करता है।

महाराष्ट्र नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।

पत्रकार रजत शर्मा ने लिखा-

त्रिनिडाड में पले-बढ़े नायपॉल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल से पढ़ाई की थी। लेखन की दुनिया में उन्हें काफी प्रसिद्धि पाई है। ए बेंड इन द रिवर और अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास उनकी चर्चित कृतियां हैं।

बता दें कि नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज और वर्ष 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उनके निधन के बाद उनकी पत्नी नादिरा नायपॉल ने कहा कि उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी जिंदगी जी। अंतिम समय में वे तमाम लोग जिन्हें वह प्यार करते थे, उनके साथ थे।

नायपॉल ने अपने साहित्य जीवन में 30 से ज्यादा किताबों का लेखन किया था। साहित्‍य के क्षेत्र में उनकी भूमिका के लिए उन्‍हें अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्‍कर मिल चुके हैं। साल 2008 में द टाइम्‍स ने 50 महान ब्रिटिश लेखकों की लिस्ट में नायपॉल को 7वां स्‍थान दिया था। जबकि इस लिस्‍ट में 1945 से बाद की कृतियों को जगहों दी जानी थी। नायपॉल की कुछ उल्‍लेखनीय कृतियां हैं: इन ए फ्री स्‍टेट (1971), ए वे इन द वर्ल्‍ड (1994), हाफ ए लाइफ (2001), मैजिक सीड्स (2004)।

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