साहित्य का नोबल पुरस्कार जीतने वाले भारतीय मूल के मशहूर लेखक वीएस नायपॉल ने रविवार तड़के अपनी आखिरी सांस ली। 85 साल की उम्र में लंदन स्थित उनके घर में उनका निधन हुआ। वीएस नायपॉल यानी विद्याधर सूरज प्रसाद नायपॉल का जन्म 17 अगस्त सन 1932 को त्रिनिडाड के चगवानस में हुआ था।
उनके निधन पर साहित्य से लेकर राजनीतिक क्षेत्र के लोगों ने शोक व्यक्त किया है।
निबंधकार सलमान रुश्दी ने भी वीएस नायपॉल के देहांत पर दुख जाहिर किया है। उन्होंने ट्वीट किया, 'हम हमेशा जीवन, राजनीति और साहित्य के बारे में असहमत रहे, लेकिन आज मुझे एक बड़े भाई को खोने जैसा दुख है।'
We disagreed all our lives, about politics, about literature, and I feel as sad as if I just lost a beloved older brother. RIP Vidia. #VSNaipaul
— Salman Rushdie (@SalmanRushdie) August 12, 2018
ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने कहा, मशहूर लेखक और नोबेल विजेता वीएस नायपॉल के निधन के बारे में जानकर दुख हुआ। उपनिवेशवाद, पलायन और ब्रिटिश साम्राज्यवाद पर उनका काम सोचने पर मजबूर करता है।
Saddened to learn about the passing away of celebrated author & Nobel laureate #VSNaipaul. His works exploring colonisation, migration & unraveling of the British empire were exemplary & thought-provoking.
— Naveen Patnaik (@Naveen_Odisha) August 12, 2018
महाराष्ट्र नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष ने उन्हें श्रद्धांजलि दी।
Born in Trinidad, the Nobel Prize-winning author #VSNaipaul died at his home in London at the age of 85. His works exploring colonisation, migration & unraveling of the British empire were exemplary & thought-provoking.
— Jayant Patil (@Jayant_R_Patil) August 12, 2018
May his soul rest in peace. pic.twitter.com/Prjz8KuPmn
पत्रकार रजत शर्मा ने लिखा-
Deeply saddened over the passing away of Nobel prize winning author #VSNaipaul A perceptive chronicler of his times, Naipaul's writings on #India and Islamic civilization have been widely appreciated here and abroad, RIP.
— Rajat Sharma (@RajatSharmaLive) August 12, 2018
Will always remember #VSNaipaul for his India: A Million Mutinies Now - a book that opened the minds of millions to the real situation in India and the need for cultural unity that is essential for India to rise again today.
— Dr David Frawley (@davidfrawleyved) August 12, 2018
त्रिनिडाड में पले-बढ़े नायपॉल ने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्याल से पढ़ाई की थी। लेखन की दुनिया में उन्हें काफी प्रसिद्धि पाई है। ए बेंड इन द रिवर और अ हाउस फॉर मिस्टर बिस्वास उनकी चर्चित कृतियां हैं।
बता दें कि नायपॉल को 1971 में बुकर प्राइज और वर्ष 2001 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक उनके निधन के बाद उनकी पत्नी नादिरा नायपॉल ने कहा कि उन्होंने रचनात्मकता और उद्यम से भरी जिंदगी जी। अंतिम समय में वे तमाम लोग जिन्हें वह प्यार करते थे, उनके साथ थे।
नायपॉल ने अपने साहित्य जीवन में 30 से ज्यादा किताबों का लेखन किया था। साहित्य के क्षेत्र में उनकी भूमिका के लिए उन्हें अब तक कई प्रतिष्ठित पुरस्कर मिल चुके हैं। साल 2008 में द टाइम्स ने 50 महान ब्रिटिश लेखकों की लिस्ट में नायपॉल को 7वां स्थान दिया था। जबकि इस लिस्ट में 1945 से बाद की कृतियों को जगहों दी जानी थी। नायपॉल की कुछ उल्लेखनीय कृतियां हैं: इन ए फ्री स्टेट (1971), ए वे इन द वर्ल्ड (1994), हाफ ए लाइफ (2001), मैजिक सीड्स (2004)।