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IAS कैडर नियम विवादः केंद्र ने कहा- केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त अधिकारी नहीं भेज रहे राज्य, बदलाव पर विपक्षी दलों ने जताया है एतराज

केंद्र सरकार ने आईएएस के सेवा नियमों में अपने प्रस्तावित बदलावों का बचाव करते हुए शुक्रवार को कहा कि...
IAS कैडर नियम विवादः केंद्र ने कहा- केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त अधिकारी नहीं भेज रहे राज्य, बदलाव पर विपक्षी दलों ने जताया है एतराज

केंद्र सरकार ने आईएएस के सेवा नियमों में अपने प्रस्तावित बदलावों का बचाव करते हुए शुक्रवार को कहा कि राज्य प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में आईएएस अधिकारी उपलब्ध नहीं करा रहे हैं। राज्यों के लिए केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व में योगदान करना अनिवार्य है। इस वजह से केंद्र में अधिकारियों की कमी है।

डीओपीटी ने हाल ही में आईएएस (कैडर) नियम, 1954 में बदलाव का प्रस्ताव दिया है, इस बदलाव से आईएसएस अफसरों का ट्रांसफर करने का पावर केंद्र सरकार के पास आ जाएगा। इस कदम की पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तीखी आलोचना की है, उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस प्रस्ताव को वापस लेने का आग्रह किया है। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने इस पर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि फैसला संघीय ढांचे के ताबूत में एक और कील साबित होगा।

मौजूदा नियमों के तहत आईएएस (कैडर) नियम 1954 के मुताबिक, अफसरों की भर्ती केंद्र सरकार ही करती है, लेकिन जब उन्हें उनके राज्य के कैडर दिए जाते हैं तो वो राज्य सरकार के अधीन आ जाते हैं। नियमों के मुताबिक, किसी भी आईएएस अधिकारी को उस राज्य सरकार और केंद्र सरकार की सहमति से ही केंद्र सरकार या किसी दूसरे राज्य में प्रतिनियु.क्त किया जा सकता है। अगर प्रतिनियुक्ति में किसी भी तरह की कोई असहमति होती है तो फैसला केंद्र सरकार करेगी और उस फैसले को राज्य सरकार को मानना होगा।

प्रस्तावित बदलावों के तहत जनहित में केंद्र सरकार अफसरों को केंद्र में पोस्ट कर सकती है और उस राज्य सरकार को तय समय में केंद्र के फैसले को लागू करना होगा।  इसमें ये भी प्रस्ताव है कि अगर समय रहते राज्य सरकार केंद्र के फैसले को लागू नहीं करती है और अधिकारी को मुक्त नहीं करती है तो केंद्र की ओर से तय तारीख से अधिकारी को कैडर से मुक्त माना जाएगा जबकि मौजूदा नियमों में ऐसा प्रावधान नहीं है। प्रस्तावित नियमों में तय समय में राज्य सरकार को केंद्र के फैसले को लागू करने की बात कही गई है जबकि, मौजूदा नियम में ऐसी कोई समय सीमा नहीं है।

डीओपीटी के सूत्रों के अनुसार, सीडीआर पर आईएएस अधिकारियों की संख्या 2011 में 309 से घटकर 223 हो गई है। सीडीआर उपयोग का प्रतिशत 2011 में 25 प्रतिशत से घटकर 18 प्रतिशत हो गया है। सूत्रों ने कहा कि आईएएस में उप सचिव / निदेशक स्तर पर आईएएस अधिकारियों की 2014 में 621 से बढ़कर 2021 में 1,130 हो जाने के बावजूद, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर ऐसे अधिकारियों की संख्या 117 से घटकर 114 हो गई है। इसलिए, केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के तहत उपलब्ध अधिकारियों की संख्या केंद्र की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

सूत्रों ने कहा कि केंद्र में पर्याप्त संख्या में अधिकारियों की अनुपलब्धता केंद्र सरकार के कामकाज को प्रभावित कर रही है क्योंकि केंद्र को नीति निर्माण और कार्यक्रम कार्यान्वयन में नए इनपुट प्राप्त करने के लिए इन अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता है। नीति नियोजन और निर्माण के लिए महत्वपूर्ण इनपुट प्रदान करने के माध्यम से केंद्र को उनके विशाल क्षेत्र के अनुभव का उपयोग करने की भी आवश्यकता है।

12 जनवरी को सभी राज्य सरकारों के मुख्य सचिवों को भेजे गए डीओपीटी के प्रस्ताव के अनुसार, "विशिष्ट परिस्थितियों में जहां केंद्र सरकार द्वारा जनहित में कैडर अधिकारियों की सेवाओं की आवश्यकता होती है, केंद्र सरकार ऐसे अधिकारी की सेवाएं ले सकती है। (एस) केंद्र सरकार के तहत पोस्टिंग के लिए ... और संबंधित राज्य सरकार निर्दिष्ट समय के भीतर केंद्र सरकार के निर्णय को प्रभावी करेगी"।

इसमें आगे कहा गया है कि "जहां भी संबंधित राज्य सरकार केंद्र सरकार के निर्णय को निर्दिष्ट समय के भीतर लागू नहीं करती है, अधिकारी (ओं) को केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तिथि से कैडर से मुक्त कर दिया जाएगा"।

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