Advertisement

पांचजन्य के लेख में इंफोसिस 'देशविरोधी' और नारायण मूर्ति पर निशाना, जानें आरएसएस ने क्या कहा

आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस को लेकर पत्रिका पांचजन्य के विचार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने...
पांचजन्य के लेख में इंफोसिस 'देशविरोधी' और नारायण मूर्ति पर निशाना, जानें आरएसएस ने क्या कहा

आईटी दिग्गज कंपनी इंफोसिस को लेकर पत्रिका पांचजन्य के विचार से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने किनारा कर लिया है। इतना ही नहीं, आरएसएस ने पांचजन्य को अपना मुखपत्र मानने से भी इनकार कर दिया है। आरएसएस के अखिल भारतीय प्रचार प्रभारी सुनील अंबेडकर ने पांचजन्य-इंफोसिस विवाद से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को अलग करते हुए कहा कि भारत की उन्नति और विकास में इस आईटी दिग्गज कंपनी इन्फोसिस का अहम योगदान है। यह स्वीकार करते हुए कि कंपनी द्वारा विकसित पोर्टलों के साथ समस्या हो सकती है, उन्होंने कहा कि पत्रिका (पांचजन्य) संघ का आधिकारिक मुखपत्र नहीं है और विचारों को व्यक्तिगत माना जाना चाहिए।

दरअसल, पांचजन्य के हालिया संस्करण में इंफ़ोसिस को लेकर चार पन्नों की कवर स्टोरी प्रकाशित की गई है। इसमें इंफोसिस पर कई तरह के आरोप लगाने के साथ ये भी कहा गया है कि 'आरोप साबित करने के लिए साक्ष्य नहीं हैं।' खबर लिखे जाने तक इंफ़ोसिस की ओर से अभी इस मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई थी।

बीबीसी की खबर के मुताबिक, इस कवर स्टोरी में पूछा गया है कि क्या "देश विरोधी ताकतें इंफ़ोसिस के ज़रिए भारत के आर्थिक हितों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रही हैं?" पांचजन्य के इस लेख में कहा गया है कि इंफोसिस पर अतीत में "नक्सलियों, वामपंथियों और टुकड़े-टुकड़े गैंग की मदद करने" के आरोप लग चुके हैं। हालांकि लेख में यह भी कहा गया है कि उसके पास इन आरोपों को साबित करने के लिए साक्ष्य नहीं है।

पांचजन्य के लेख में इनकम टैक्स भरने के लिए इंफ़ोसिस की बनाई नई वेबसाइट में तकनीकी दिक्कत आने पर सवाल उठाए गए हैं। लेख के सामने आते ही विवाद होने लगा और सवाल उठने लगे कि क्या संघ इसमें जाहिर किए गए विचारों से सहमत है?

विवाद गहराता देख आरएसएस के प्रवक्ता सुनील आंबेकर ने रविवार को इस बारे में सफाई देते हुए एक ट्वीट किया। ट्वीट में उन्होंने कहा कि 'पांचजन्य' संघ का मुखपत्र नहीं है। आंबेकर ने लिखा, "पांचजन्य आरएसएस का मुखपत्र नहीं है और इस लेख में जाहिर किए विचारों को आरएसस से नहीं जोड़ा जाना चाहिए। ये हमारे संगठन के नहीं बल्कि लेखक के विचार हैं।"

इतना ही नहीं, उन्होंने इंफोसिस की तारीफ करते हुए भी एक ट्वीट किया। आंबेकर ने लिखा, "एक भारतीय कंपनी के तौर पर इंफोसिस ने देश की उन्नति में अहम योगदान किया है। हो सकता है कि इंफोसिस की मदद से चलने वाले एक पोर्टल में कुछ दिक्कतें आई हों लेकिन पांचजन्य में इस संदर्भ में छपा यह लेख किसी एक व्यक्ति या लेखक के विचार भर हैं।"

वहीं, पांचजन्य के संपादक हितेश शंकर ने कहा कि वो अपनी कवर स्टोरी पर अडिग हैं। उन्होंने कहा, "पांच सितंबर के पांचजन्य संस्करण पर काफी हंगामा हो रहा है। यह कवर स्टोरी सबको पढ़नी चाहिए।" उन्होंने ट्वीट किया, "पांचजन्य अपनी रिपोर्ट को लेकर अडिग है। अगर इंफोसिस को किसी भी तरह की आपत्ति है तो उसे कंपनी के हित में इन तथ्यों की और गहराई से पड़ताल करके मुद्दे का दूसरा पहलू पेश करने के लिए कहना चाहिए।" हितेश शंकर ने लिखा, "कुछ लोग इस संदर्भ में निजी स्वार्थ के लिए आरएसएस का नाम ले रहे हैं। याद रखिए कि यह रिपोर्ट संघ से सम्बन्धित नहीं है। यह इंफोसिस के बारे में है। यह तथ्यों और कंपनी की अकुशलता से जुड़ी है।"

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad