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EU में सीएए प्रस्ताव से यूरोपीय यूनियन और फ्रांस ने खुद को किया अलग, ओम बिड़ला ने भी उठाए सवाल

यूरोपीय संघ (ईयू) ने यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से पेश नागरिक संशोधन कानून (सीएए)...
EU में सीएए प्रस्ताव से यूरोपीय यूनियन और फ्रांस ने खुद को किया अलग, ओम बिड़ला ने भी उठाए सवाल

यूरोपीय संघ (ईयू) ने यूरोपीय संसद में विभिन्न राजनीतिक दलों की तरफ से पेश नागरिक संशोधन कानून (सीएए) प्रस्ताव पर बहस व वोटिंग से खुद को अलग कर दिया है। वहीं, यूरोपीय संघ के एक प्रमुख देश फ्रांस ने भी इस प्रस्ताव पर बहस से खुद को अलग कर लिया है। फ्रांस का कहना है, ‘हमने पहले भी कहा है और आज फिर दोहरा रहे हैं कि फ्रांस सीएए को भारत का आंतरिक कानूनी मामला मानता है और आगे हमारा जो भी कदम होगा इसी सोच के साथ होगा।'

'यूरोपीय संसद में व्यक्त होने वाले विचार जरूरी नहीं कि ईयू के आधिकारिक विचार हों'

सीएए पर बहस से खुद को अलग करते हुए यूरोपीय संघ के विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यूरोपीय संसद में जो विचार व्यक्त किये जाते हैं या इसके सदस्य जो विचार सामने रखते हैं वह जरूरी नहीं है कि ईयू के आधिकारिक विचार हों। संघ ने 13 मार्च को ब्रूसेल्स में भारत और ईयू की 15वीं बैठक का जिक्र करते हुए कहा है कि भारत के साथ रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करना जरूरी है।

भारत अपने रुख पर कायम

उधर भारत का रुख भी नरम होता नहीं दिख रहा। भारतीय विदेश मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक, सीएए एक ऐसा मुद्दा है जो पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। इसे एक लोकतांत्रिक प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ाया गया है। दोनो सदनों में इस पर बहस हुई है। कोई भी देश जब नागरिकता देता है तो उसके लिए कुछ शर्त तय करता है। सीएए किसी भी तरह से विभेद नहीं करता। असलियत में यूरोपीय संघ के भी कुछ सदस्य देश इस तरह के नियमों का पालन करते हैं। हमें उम्मीद है कि यूरोपीय संसद में इस प्रस्ताव को लाने वाले इस बारे में भारत से विमर्श करेंगे और स्थिति की सही जानकारी लेंगे।

यूरोपीय संघ का संसद स्वयं ही एक लोकतांत्रिक संस्था है और उसे कोई भी ऐसा कार्य नहीं करना चाहिए जो दूसरी लोकतांत्रिक व्यवस्था के अधिकार पर सवाल उठाये। भारत को इस बात की चिंता है कि यूरोपीय संघ में भारी बहुमत से पास होने वाला प्रस्ताव उसकी छवि को न सिर्फ नुकसान पहुंचाएगा बल्कि यूरोप में उसके रणनीतिक व आर्थिक हितों पर चोट करेगा।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने उठाए सवाल

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रस्ताव लाने पर यूरोपीय संसद (ईयू) के अध्यक्ष डेविड मारिया ससौली को खत लिखकर आपत्ति जताई है। उन्होंने यूरोपीय संसद को सीएए का सम्मान करने की नसीहत देते हुए लिखा, इस कानून को भारतीय संसद के दोनों सदनों ने लंबी बहस के बाद पारित किया है। साथ ही, ये भी कहा कि किसी विधायिका द्वारा किसी अन्य विधायिका को लेकर फैसला सुनाना अनुचित है। इस परिपाटी का निहित स्वार्थ वाले लोग दुरुपयोग कर सकते हैं।

किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं है ये कानून

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि इंटर पार्लियामेंटरी यूनियन का सदस्य होने के नाते हमें एक-दूसरे की संप्रभु प्रक्रिया का सम्मान करना चाहिए खासकर लोकतंत्र में। प्रस्ताव पर पुनर्विचार की मांग करते हुए बिड़ला ने लिखा कि यह कानून पड़ोसी देशों में धार्मिक उत्पीड़न के शिकार लोगों को नागरिकता देने के लिए है किसी की नागरिकता छीनने के लिए नहीं। एक विधायिका का दूसरी विधायिका पर फैसला सुनाना गलत है।

उन्होंने कहा कि यह ऐसी परंपरा है जिसका निहित स्वार्थ के लिए दुरुपयोग किया जा सकता है। इसलिए इस प्रस्ताव पर पुनर्विचार किया जाए। बिड़ला ने विश्वास जताया कि हममें से कोई भी गलत उदाहरण पेश नहीं करेगा।

इस कानून के तहत लोगों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान

उन्होंने पत्र में लिखा कि मैं यह बात समझता हूं कि भारतीय नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 को लेकर यूरोपीय संसद में ‘ज्वाइंट मोशन फॉर रेजोल्यूशन’ पेश किया गया है। इस कानून में हमारे निकट पड़ोसी देशों में धार्मिक अत्याचार का शिकार हुए लोगों को आसानी से नागरिकता देने का प्रावधान है।

600 यूरोपीय यूनाइटेड के सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए

दरअसल, दो दिन पहले ही 751 सदस्यीय यूरोपीय संसद में यूरोपियन यूनाइटेड लेफ्ट/नॉर्डिक ग्रीन लेफ्ट (जीयूई/एनजीएल) समूह ने प्रस्ताव पेश किया जिस पर बुधवार को बहस होगी और एक दिन बाद मतदान होगा। भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। करीब 600 सांसदों ने सीएए के खिलाफ छह प्रस्ताव पेश किए हैं जिनमें कहा गया है कि इस कानून का क्रियान्वयन भारतीय नागरिकता प्रणाली में खतरनाक बदलाव करता है।

इस प्रस्ताव में संयुक्त राष्ट्र के घोषणापत्र, मानव अधिकार की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के अनुच्छेद 15 के अलावा 2015 में हस्ताक्षरित किए गए भारत-यूरोपीय संघ सामरिक भागीदारी संयुक्त कार्य योजना और मानव अधिकारों पर यूरोपीय संघ-भारत विषयक संवाद का जिक्र किया गया है। इसमें भारतीय प्राधिकारियों के अपील की गई है कि वे सीएए के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के साथ ''रचनात्मक वार्ता करें और ''भेदभावपूर्ण सीएए को निरस्त करने की उनकी मांग पर विचार करें।

बाहरी हस्तक्षेप की कोई गुंजाइश नहीं: नायडू

ईयू के रुख पर चिंता और नाराजगी जताते हुए उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने कहा, भारत के आंतरिक मामलों में बाहरी हस्तक्षेप की गुंजाइश नहीं है। उन्होंने कहा, विदेशी संस्थाओं का किसी देश के आंतरिक मामले में दखल देना चिंता की बात है। इस कानून पर देश की संसद के दोनों सदनों ने मुहर लगाई है। दरअसल, यूरोपीय संसद ने ईयू के कुछ समूहों द्वारा छह प्रस्तावों पर चर्चा को मंजूरी दी है।

 

CAA पर दिसंबर में बना कानून

 

यह कानून दिसंबर, 2019 में बना है जो कुछ पड़ोसी देशों से आने वाले कुछ खास धार्मिक समुदाय के लोगों को तेजी से नागरिकता देता है। सुप्रीम कोर्ट इस पर विचार कर रहा है। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि यह एक सामान्य प्रक्रिया है जिसमें प्रस्ताव के मसौदे को जारी किया गया है। भारत ईयू के एक अहम रणनीतिक साझेदार देश है जो वैश्विक चुनौतियों को देखते हुए और दुनिया में कानून सम्मत व्यवस्था कायम करने के लिए जरुरी है। मैं यह भी याद दिलाना चाहूंगा कि यूरोपीय संसद की तरफ से व्यक्त विचार या किसी सांसद की तरफ से व्यक्त विचार यूरोपीय संघ के आधिकारिक स्थिति को प्रस्तुत नहीं करते।'

 

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