भारत और चीन के बीच तनाव कम करने के लिए लगातार सैन्य बैठके हो रही हैं। अब पहली बार वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दोनों देशों के बीच कूटनीतिक चर्चा हुई है। चर्चा के बाद विदेश मंत्रालय ने बताया कि बातचीत के दौरान इस बात पर जोर दिया गया कि भारत-चीन दोनों को वास्तविक नियंत्रण रेखा का कड़ाई से सम्मान और निगरानी करनी चाहिए। दोनों पक्ष गतिरोध को हल करने के लिए राजनयिक और सैन्य दोनों स्तरों पर बातचीत बनाए रखने के लिए सहमत हैं।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत-चीन सीमावर्ती क्षेत्रों में विशेष रूप से, पूर्वी लद्दाख में स्थिति पर विस्तार से चर्चा की गई और भारतीय पक्ष ने 15-16 जून को गलवान घाटी में हिंसक घटनाओं पर अपनी चिंता जताई जिसमें भारतीय सेना के 20 जवान मारे गए थे।
पहली बार हुई कूटनीतिक स्तर पर चर्चा
विदेश मंत्रालय ने साफ कर दिया है कि 6 जून को कमांडर स्तर की बैठक में जो बातें तय हुईं थीं। दोनों देशों को ईमानदारी से इसका पालन करना चाहिए। वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) सीमा पर शांति और धैर्य बनाए रखना दोनों देशों के साझा हित में है। भारत की ओर से विदेश मंत्रालय के पूर्व एशिया के जॉइंट सेकेट्री नवीन श्रीवास्तव और चीन विदेश मंत्रालय के महानिदेशक वू जियांगहो ने हिस्सा लिया। बता दें कि सैन्य कमांडर स्तर की बैठक हो चुकी थी। कमांडर स्तर की बैठक लगभग 11 घंटे तक चली थी। इस बीच दोनों देश सीमा पर अपनी-अपनी ताकत भी बढ़ाते जा रहे हैं।
चीन ने भारत को ठहराया जिम्मेदार
इससे पहले भारत और चीन के बीच सेनाओं को पीछे करने पर सहमति बनने के एक दिन बाद चीन के रक्षा मंत्रालय ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर संघर्ष के लिए भारत को पूरी तरह से जिम्मेदार ठहराया है। चीन के रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू किआन ने कहा कि हम आशा करते हैं कि सीमाई इलाकों शांति और स्थिरता बनी रहेगी। उन्होंने कहा कि भारत ने एकतरफा कार्रवाई की जिसकी वजह से हिंसा हुई। प्रवक्ता कर्नल वू कियान ने कहा कि हमें उम्मीद है कि भारत और चीन एक दूसरे से मिलेंगे। दोनों देशों के नेताओं के बीच महत्वपूर्ण सहमति को प्रभावी ढंग से लागू करेंगे। दोनों देशों के बीच हुए समझौते का सख्ती से पालन करेंगे और सभी स्तरों पर बातचीत के माध्यम से इस मामले को हल किया जाएगा।