फिच रेटिंग्स एजेंसी ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के चलते वित्त वर्ष 2020-21 में भारत की आर्थिक विकास दर 2 फ़ीसदी रह सकती है। जीडीपी ग्रोथ की यह दर 30 साल में सबसे कम होगी। फिच के अनुसार कोविड-19 महामारी से एमएसएमई कंपनियां और सर्विस सेक्टर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे क्योंकि उपभोक्ताओं के खर्च में गिरावट आएगी। फिच ने 20 मार्च को 2020-21 में भारत की विकास दर 5.1 फ़ीसदी रहने का अनुमान जताया था। दिसंबर 2019 में इसने मौजूदा वित्त वर्ष के लिए 5.6 फ़ीसदी विकास की बात कही थी।
एडीबी और दूसरी एजेंसियां भी घटा चुकी हैं विकास का अनुमान
फिच रेटिंग्स से पहले और भी कई एजेंसियों ने भारत और विश्व के विकास का अनुमान घटाया है। हालांकि इनके अनुमानों में काफी अंतर है। शुक्रवार को ही एशियन डेवलपमेंट बैंक (एडीबी) ने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष में भारत की विकास दर घटकर 4 फ़ीसदी रह सकती है। इससे पहले इसी हफ्ते एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग ने भारत की जीडीपी विकास दर का अनुमान 5.2 फ़ीसदी से घटाकर 3.5 फ़ीसदी किया था। इंडिया रेटिंग्स ने अपना अनुमान 5.5 फ़ीसदी से कम करके 3.6 फ़ीसदी किया। मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने पिछले हफ्ते अपने अनुमान में कहा कि कैलेंडर वर्ष 2020 में भारत की विकास दर 5.3 फ़ीसदी के बजाय 2.5 फ़ीसदी रहेगी।
विश्व अर्थव्यवस्था में मंदी की जताई आशंका
फिच रेटिंग्स के अनुसार कोविड-19 महामारी के चलते दुनिया के बड़े हिस्से में लॉकडाउन है। विश्व अर्थव्यवस्था मंदी की चपेट में आ गई है। चीन में मैन्युफैक्चरिंग रुकने से सप्लाई चेन प्रभावित हुई थी, अब वहां लोगों की आमदनी घटने से खर्च करने की क्षमता कम होगी। साथ ही दूसरे देशों में आर्थिक गतिविधियां कम होने के कारण चीन के निर्यात में भी गिरावट आएगी। इसलिए विश्व अर्थव्यवस्था के इस साल मंदी में रहने के आसार हैं।
महामारी से विश्व अर्थव्यवस्था को 4 लाख करोड़ डॉलर के नुकसान का अंदेशा
भारत के विकास का अनुमान घटाते हुए एडीबी ने कहा कि अगले साल तेज रिकवरी देखने को मिलेगी। 2021-22 में विकास दर 6.2 फ़ीसदी रह सकती है। इसने यह भी कहा कि भारत में अभी तक कोविड-19 महामारी ने व्यापक रूप नहीं लिया है लेकिन वैश्विक वातावरण कमजोर होने का असर यहां भी दिखेगा। व्यक्तिगत और कॉरपोरेट के इनकम टैक्स कलेक्शन में गिरावट आएगी। एडीबी ने कोविड-19 से विश्व अर्थव्यवस्था को दो से 4.1 लाख करोड़ डॉलर के नुकसान का अंदेशा जताया है। यह विश्व की जीडीपी के 2.3 से 4.8 फ़ीसदी के बराबर होगा।