साहिर लुधियानवी ने कभी कहा था-
खून अपना हो या पराया हो
नस्ल-ए-आदम का खून है आखिर
इंसान कितने भी अलग हों, सबके रगों में खून ही दौड़ता है। यही चीज हमें इंसानियत से जोड़ती है। ऐसी ही इंसानियत की एक मिसाल देते हुए झारखंड में सीआरपीएफ जवान राजकमल ने मुठभेड़ में घायल एक नक्सली के लिए रक्तदान किया। 29 जनवरी की सुबह खूंटी के अड़की थाना क्षेत्र में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी जिसमें पांच नक्सली मारे गए थे जबकि दो नक्सलियों को घायल अवस्था में पकड़ा गया था। दोनों घायलों को इलाज के लिए रिम्स में भर्ती कराया गया था।
नक्सली को थी बी पॉजिटिव खून की जरुरत
रिम्स में भर्ती 25 वर्षीय नक्सली सोमा पूर्ति को बी पॉजिटिव खून की जरुरत थी। इसकी जानकारी 133 बटालियन के सीआरपीएफ जवान राजकमल को सोमवार को मिली। इसके बाद वे रिम्स पहुंचे और रक्तदान कर सोमा पूर्ति की जान बचाई।
सोमा पूर्ति के गाल में लगी थी गोली
नक्सली सोमा पूर्ति के गाल में गोली लगी थी। गोली उसके चेहरे को चीरती हुई पार कर गई थी। 29 जनवरी की दोपहर इसे रिम्स में भर्ती किया गया था जहां इमरजेंसी के माइनर ओटी में ऑपरेशन किया गया। फिर हेल्थ मैप में एक्सरे और सिटी स्कैन कराया गया। इस दौरान डॉक्टरों ने सोमा पूर्ति की स्थिति गंभीर बताई थी।