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झारखंडः हेमंत से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ भेज उपद्रव करने की थी साजिश, झामुमो ने की उच्‍चस्‍तरीय जांच की मांग

रांची। हेमंत सोरेन से मुख्‍यमंत्री आवास में 20 जनवरी को ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ के पांच सौ...
झारखंडः हेमंत से ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ भेज उपद्रव करने की थी साजिश, झामुमो ने की उच्‍चस्‍तरीय जांच की मांग

रांची। हेमंत सोरेन से मुख्‍यमंत्री आवास में 20 जनवरी को ईडी की पूछताछ के दौरान सीआरपीएफ के पांच सौ जवानों को अचानक भेज दिये जाने पर झारखंड मुक्ति मोर्चा ने कड़ी आपत्ति की है। झामुमो ने कहा कि कार्यकर्ताओं को भड़काने की यह सोची समझी साजिश थी।

पार्टी के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य एवं विनोद पांडेय ने संयुक्‍त बयान में कहा कि ईडी के आग्रह पर मुख्‍य सचिव ने ईडी अधिकारियों एवं उनके कार्यालय की सुरक्षा के लि दौ हजार पुलिस एवं दंडाधिकारियों की नियुक्ति कर दी थी। केंद्रीय एजेंसियों की पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के विरुद्ध जनता एवं कार्यकर्ताओं के प्रदर्शन को देखते हुए जिला प्रशासन ने 144 के तहत निषेधाज्ञा भी लागू किया  था। इसी बीच अचानक सीआरपीएफ के पांच सौ से अधिक जवान को बिना किसी अनुमति या सूचना के मुख्‍यमंत्री आवास में प्रवेश करने का प्रयास करने लगे साथ ही झामुमो कार्यकर्ताओं से उलझने लगे।

पार्टी के महासचिव ने कहा कि विधि व्‍यवस्‍था के इतने संवेदनशील समय एवं स्‍थान पर जिला प्रशासन की अनुमति और सूचना के बिना निषिद्ध क्षेत्र में सीआरपीएफ के जवानों का प्रवेश करना एक भड़काऊ एवं गैर कानूनी कार्य है। झामुमो कार्यकर्ताओं ने यदि संयम से काम नहीं लिया होता तो हिंसक परिस्थिति पैदा हो सकती थी। पार्टी ने इसकी उच्‍चस्‍तरीय जांच कराकर इसमें शामिल सीआरपीएफ आईजी एवं उनके दूसरे वरीय पदधिकारियों के खिलाफ सख्‍त कार्रवाई की मांग की है। ऐसा नहीं करने पर पार्टी ने आंदोलन की चेतावनी दी  है।

दोनों नेताओं ने कहा कि सूचना मिली है कि सीआरपीएफ का यह कृत्‍य एक सोची समझी साजिश थी जिसमें सीआरपीएफ के आईजी भी शामिल थे। वे चाहते थे कि सीआरपीएफ एवं प्रदर्शनकारी कार्यकर्ताओं के बीच मारपीट हो जाये तथा प्रदर्शनकारी उग्र होकर सीआरपीएफ पर हमला कर दें तो राज्‍य सरकार पर संवैधानिक तंत्र की विफलता का आरोप लगाया जा सके और राष्‍ट्रपति शासन लगाने की भूमिका तैयार की जा सके। जिला प्रशासन के अनुरोध या अनुमति के बिना किसी भी प्रकार के विधि-व्‍यवस्‍था का काम सीआरपीएफ नहीं कर सकती है। इससे स्‍पष्‍ट है कि सीआरपीएफ ने यह कार्रवाई साजिशन केंद्र सरकार के इशारे पर किया है जो राज्‍य सरकार को अस्थिर करने का प्रयास है तथा संघीय ढांचे पर एक कायराना हमला है। इस प्रकार इनका राजनैतिक दुरुपयोग अत्‍यंत गंभीर चिंता का विषय है। ऐसी घटनाओं से ही आम जनता काा विश्‍वास केंद्रीय एजेंसियों के प्रति कम होता जा रहा है एवं यह लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था के भविष्‍य के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि केंद्रीय बलों का यह पक्षपातपूर्ण व्‍यवहार आगामी चुनावों को भी दुष्‍प्रभावित कर सकता है।

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