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झारखंडः सूखा और कम रोपनी से सरकार चिंतित; किसानों को राहत देने की तैयारी, फसल राहत योजना पर बढ़ा फोकस

झारखंडः प्रदेश में कम बारिश और अत्‍यंत कम रोपनी के कारण सरकार परेशान है। बारिश पर ज्‍यादा निर्भरता...
झारखंडः सूखा और कम रोपनी से सरकार चिंतित;  किसानों को राहत देने की तैयारी, फसल राहत योजना पर बढ़ा फोकस

झारखंडः प्रदेश में कम बारिश और अत्‍यंत कम रोपनी के कारण सरकार परेशान है। बारिश पर ज्‍यादा निर्भरता के करण किसानों की बदहाली की आशंका को देखते हुए सरकार की चिंता बढ़ गई है। किसानों को राहत देने के लिए फसल राहत योजना की ओर कदम बढ़ा दिया है। इस साल प्रदेश में अभी तक 58 प्रतिशत कम बारिश हुई है। वहीं 15 मई से 15 अगस्‍त के बीच रोपनी के मौसम में दस प्रतिशत भी रोपनी नहीं हुई है। कृषि पशुपालन एवं सहकारिता मंत्री बादल ने कहा कि यह शुभ संकेत नहीं है। संभावित परेशानी को देखते हुए गुरूवार को उन्‍होंने राज्य फसल राहत योजना के क्रियान्वयन के संदर्भ में सभी जिलों के उपायुक्तों, कृषि पदाधिकारियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्‍यम से विमर्श किया। बाद में पत्रकारों से कृषि मंत्री ने कहा कि इस वर्ष  बारिश कम हुई है 10 प्रतिशत से भी कम बुआई हुई है और 65 फ़ीसदी तक बिचड़ा डाला गया है। इसे देखते हुए सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया गया है कि वैकल्पिक फसल की योजना तैयार रखें।

कृषि मंत्री ने कहा कि राज्य के किसानों को ससमय सरकार का सहयोग मिल सके, इसके लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं और राज्य में फसल राहत योजना के क्रियान्वयन के लिए सभी जिलों के उपायुक्तों कृषि पदाधिकारियों एवं सहकारिता पदाधिकारियों को निर्देश दे दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि सभी उपायुक्तों को जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक एक सप्ताह के अंदर सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं साथ ही जनता की जागरूकता के लिए प्रचार-प्रसार करने का भी निर्देश जारी किया गया है। जिन क्षेत्रों में सूखा का असर ज्यादा हो सकता है, उन क्षेत्रों के लिए उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया गया है जो क्षेत्रों का मुआयना करके अपनी रिपोर्ट देगी। झारखंड राज्य फसल योजना के बारे में जानकारी देते हुए कहा कि कृषि गोष्ठियों के माध्यम से लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया जा रहा है। प्रखंड एवं जिला स्तर पर समन्वय समिति का गठन किया गया है साथ ही राज्य में 20,000 कॉमन सर्विस सेंटर एवं प्रज्ञा केंद्रों में किसान अपना निबंधन करा सकते हैं। इसके अलावा आवेदन स्वयं भी किया जा सकता है। राहत योजना के तहत डीबीटी के माध्यम से किसानों को बीस हजार रूपये तक का सहयोग सरकार के द्वारा दिया जाएगा। इसके लिए रजिस्‍ट्रार को ऑपरेटिव प्रतिनिधि से संपर्क कर शिकायतों की मॉनिटरिंग करेंगे तथा जो निबंधित किसान हैं और जिन्हें केसीसी का लाभ नहीं मिला है उन्हें कैंप लगाकर लाभ दिया जाएगा। योजना की सफलता एवं सुगमतापूर्वक क्रियान्वयन हेतु समय पर मॉनिटरिंग एवं प्रचार करने की उन्होंने बात कही। कृषि मंत्री श्री बादल ने कहा कि समय रहते ही वैकल्पिक तैयारी शुरू कर दी गई है आपदा प्रबंधन के लोगों से संपर्क किया जा रहा है राज्य में अगर सुखाड़ की स्थिति बनती है तो केंद्र से भी सहयोग की उम्मीद के साथ योजना तैयार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सेकेंडरी एक्शन प्लान के तहत शॉर्ट टर्म कृषि योजना बनाई जा रही है इसके लिए सभी जिला कृषि पदाधिकारियों को निर्देश दे दिया गया।

बीएयू और केवीके के वैज्ञानिकों की सलाह पर हो रहा काम

कृषि मंत्री ने बताया निदेशालय स्तर पर कई एडवाइजरी जारी की गई हैं। अल्पावधि सूखा प्रतिरोधी बीज के लिए नए डिमांड लिए जा रहे हैं ताकि किसानों को अविलंब आपूर्ति की जा सके। वैज्ञानिकों के द्वारा किसान को नियमित सलाह दी जा रही है साथ ही किसानों को मोबाइल मैसेज के जरिए बीज एवं रोपण की विधि की भी जानकारी दी जा रही है। इसके अलावा रबी फसल की तैयारी निदेशालय स्तर पर वैज्ञानिकों के सलाह के अनुसार की जा रही है।

राहत योजना की सफलता के लिए बनाएं कार्ययोजना

वीडियो कांफ्रेंसिंग में कृषि सचिव श्री अबू बकर सिद्दीकी ने कहा कि झारखंड राज्य फसल राहत योजना के क्रियान्वयन के लिए पीएमयू का सपोर्ट ले तथा समय पर निबंधन किसानों का हो सके यह सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने सभी उपायुक्तों को निर्देश दिया कि लाभुकों का केवाईसी जरूर कराएं तथा 28 जुलाई को हजारीबाग में प्रमंडलीय शिविर का आयोजन किसान क्रेडिट कार्ड को लेकर किया जा रहा है उसकी तैयारी रखें एवं बैंकर से मीटिंग करें ताकि ज्यादा से ज्यादा केसीसी के आवेदनों का निष्पादन सुनिश्चित किया जा सके।  कृषि सचिव ने कहा कि केसीसी के लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का निर्देश है की प्रखंड स्तर पर कैंप का आयोजन करना है ताकि केसीसी से वंचित लोगों को लाभ दिया जा सके। सभी सीएससी मैनेजर की ट्रेनिंग पूरी हो चुकी है ट्रेंड सीएससी मैनेजर 20000 सीएससी को ट्रेनिंग देने जा रहे हैं इसके लिए सभी जिलों में प्रचार प्रसार करने की जरूरत है ताकि ज्यादा से ज्यादा किसानों को लाभ मिल सके। बताया कि उपलब्ध किसानों का डाटा जो सरकार के पास मौजूद है उसे भी वेबसाइट में अपलोड कर दिया गया है और उपलब्ध डाटा के लिए वेरीफिकेशन की आवश्यकता नहीं होगी।

क्या है झारखंड राज्य फसल राहत योजना

केवल प्राकृतिक आपदा से फसल को होने वाले नुकसान के मामले में यह लागू होगा। योजना का लाभ लेने के लिए प्रत्येक फसल मौसम ( खरीफ एवं रबी) में अलग-अलग निबंधन एवं आवेदन करना होगा। इसके लिए कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। फसल के नुकसान का आकलन एवं निर्धारण क्रॉप कटिंग एक्सपेरिमेंट के द्वारा किया जाएगा। 30% से 50% तक फसल का नुकसान होने पर प्रति एकड़ तीन हजार रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। 50% से अधिक फसल नुकसान पर आवेदक को प्रति एकड़ चार हजार रूपये की सहायता राशि दी जाएगी।  मगर अधिकतम 5 एकड़ तक के नुकसान की भरपाई की जाएगी।

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