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झारखंडः कोयले की कमाई से लाल हो रहे नक्‍सली, वसूली के बाद ढुलाई में भी जुड़े

कोयले के धंधे में मोटी कमाई को देखते हुए नक्‍सलियों का झुकाव इधर बढ़ता जा रहा है। लेवी वसूली के बाद अब...
झारखंडः कोयले की कमाई से लाल हो रहे नक्‍सली, वसूली के बाद ढुलाई में भी जुड़े

कोयले के धंधे में मोटी कमाई को देखते हुए नक्‍सलियों का झुकाव इधर बढ़ता जा रहा है। लेवी वसूली के बाद अब ढुलाई के धंधे में भी जुट गये हैं। टीपीसी ( तृतीय प्रस्‍तुति कमेटी) को धंधे में घुसपैठ कुछ ज्‍यादा ही है। टीपीसी का चतरा, पलामू, लातेहार, हजारीबाग तथा रामगढ़ एवं रांची के कुछ हिस्‍सों में प्रभाव है। एक पूर्व विधायक के भाई ब्रजेश गंझू की पहचान इसके शीर्ष नेतृत्‍व के रूप में है। प्रभाव के लिए आये दिन इनके द्वारा माइनिंग एरिया में फायरिंग, वहां वाहनों को आग लगाने की घटनाएं घटती रहती हैं।

कुछ वर्ष पूर्व चतरा के आम्रपाली प्रोजेक्‍ट में उग्रवादियों, नेताओं और पत्रकारों के सिंडिकेट की खबर दिल्‍ली तक पहुंची तो जांच का आदेश हुआ। कोई तीन साल पुरानी घटना है तब रघुवर सरकार ने चतरा पुलिस के अनेक अधिकारियों को ही बदल देने का आदेश जारी किया। प्रभाव ऐसा था कि आदेश के एक माह बाद तक सभी अधिकारी वहीं जमे थे। हां एक्‍शन के नाम पर टीपीसी से जुड़े भीखन गंझू, आक्रमण, विनोद गंझू, सहित कोई चार-पांच दर्जन लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई। उस दौरान परियोजना से विस्‍थापित और उससे प्रभावित ग्रामीणों ने पुलिस महानिदेशक को शिकायत कर बताया था कि प्रति टन कोई ढाई सौ रुपये की दर से अवैध वसूली की जा रही है और इस प्रोजेक्‍ट से मासिक कोई तीन-चार लाख टन कोयले की निकासी होती है। सिंडिकेट के लोगों में इस वसूली के पैसे का बटवारा होता है। एनआइए ने यह भी पाया कि प्रति ट्रक 

तीन साल पहले जिस भीखन गंझू सहित अन्‍य लोगों पर प्राथमिकी हुई थी वह फिर चर्चा में है। कोयला ट्रांसपोर्टिंग करने वाली एक कंपनी द्वारा टीपीसी से जुड़े भीखन गंझू और उससे जुड़े लोगों को लोडिंग व ट्रांसपोर्टिंग का काम सौंप दिया गया है। 44 हजार टन कोयले की रेक लोडिंग और ट्रांसपोर्टिंग का जिम्‍मा सौंपा गया है। दो दिन पूर्व तब बात सतह पर तब आयी जब गंझू के लोगों ने ट्रांसपोर्टिंग का काम शुरू किया तो कुछ लोगों ने काम रोक दिया। दरअसल जिस कारोबारी ने गंझू के लोगों को काम सौंपा उस कारोबारी के पास  अनेक लोगों का बकाया था। कोयला कारोबारी के जेल चले जाने के कारण भुगतान नहीं हो पाया था। हाल ही कारोबारी जेल से बाहर निकला है। लोगों को यह भी डर है  पैसे की मांग को लेकर काम बंद कराते हैं तो गंझू एंड कंपनी के निशाने पर आ जायेंगे। दरअसल यह पूरा काम कोलकाता की एक कंपनी को मिला था जिसने रांची की कंपनी को सौंप दिया और रांची की कंपनी ने भीखन और उसके लोगों को काम सौंप दिया। कोयला अशोक परियोजना से निकालकर राजधर साइडिंग पर रेक लोडिंग किया जाना है।

बता दें कि पिछले साल जनवरी में एनआइए ने टेरर फंडिंग के मामले में कोयला के धंधे से जुड़े  सुदेश केडिया और आधुनिक कंपनी से जुड़े पूर्वी सिंहभूम निवासी अजय सिंह को रांची से गिरफ्तार किया था। सुदेश कोलकाता के बड़़े कोयला कारोबारी इंद्रराज भलोटिया का काम देखते थे। चतरा के मगध व अम्रपाली कोयला परियोजना से टीपीसी उग्रवादियों को फंडिंग के मामले में एनआइए आधुनिक पॉवर के जीएम संजय जैन, मास्‍टर माइंड के रूप में चर्चित सीसीएल कर्मी सुभान खान, बिदंश्‍वर गंझू सहित एक दर्जन से अधिक लोगों के खिलाफ पहले ही आरोप पत्र समर्पित कर चुकी है। एनआइए ने कहा था कि टीपीसी को लेवी देने के लिए ही ऊंची दर पर मगध और अप्रपाली प्रोजेक्‍ट से कोयले की ढुलाई का ठेका लिया गया। और यह ठेका टीपीसी के आक्रमण की सिफारिश पर मिला था।

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