जेएनयू में 5 जनवरी को हुई हिंसा की जांच के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पांच सदस्यीय टीम का गठन किया है। इसके साथ ही यूनिवर्सिटी के डीन ने सभी वॉर्डन को निर्देश दिया है कि इस बात को सुनिश्चित किया जाय कि हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति की मौजूदगी न हो। बाहरी व्यक्ति के मिलने पर स्टूडेंट्स पर कार्रवाई की जाए।
डीन उमेश ए कदम ने सीनियर वॉर्डन को निर्देश दिया है। उन्होंने कहा है कि वसंत कुंज थाने की तरफ से 7 जनवरी को पत्र मिला है, जिसमें रजिस्ट्रार को सुझाव दिया गया है कि वह इस बात का ऑडिट कराए कि हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति तो नहीं रह रहा और ऐसा पाए जाने पर तत्काल थाना प्रभारी को सूचित किया जाए।
हॉस्टल में बाहरी पाए गए तो होगी कार्रवाई
डीन ने सभी सीनियर वॉर्डन को स्टूडेंट्स को जानकारी देने को कहा है। नोटिस में लिखा गया है, 'अगर कोई बाहरी या अनाधिकृत स्टूडेंटस या गेस्ट किसी हॉस्टल के कमरे में रहता पाया गया, तो संबंधित स्टूडेंट के खिलाफ प्रशासनिक नियमों के तहत जरूरी कदम उठाए जाएंगे।'
इससे पहले जेएनयू के वाइस चांसलर एम जगदीश कुमार ने कहा कि हॉस्टल में रह रहे छात्र बाहरी व्यक्ति हो सकते हैं। उनके हिंसा में शामिल होने की संभावना है, क्योंकि उनका विश्वविद्यालय से कोई लेना-देना नहीं है। बता दें कि 5 जनवरी को जेएनयू कैंपस में हुई हिंसा में करीब 20 स्टूडेंट्स घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस के दावे पर उठे सवाल
जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) हिंसा पर दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान कई तस्वीरें और वीडियो से ली गई फोटो जारी करते हुए कुछ छात्रों को आरोपी बताया। लेकिन 5 जनवरी की रात छात्रावास में हुई उस बर्बर घटना पर कुछ नहीं कहा। इस दौरान पुलिस ने दोनों पक्षों के हमलावरों के फोटो जारी किए, जिसमें एक फोटो पर पुलिस नाम किसी का और बता रही थी और दिखा किसी और को रही थी। इसके अलावा पुलिस पर भेदभाव का भी आरोप लगा क्योंकि उसने वामदलों के आरोपी हमलावरों का नाम लिया लेकिन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) का नाम लेने से परहेज किया।