सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ धारा 377 की वैधता पर मंगलवार से सुनवाई कर रही है। पीठ को यह तय करना है कि समलैंगिकता को अपराध माना जाय या नहीं। गुरुवार को सुनवाई के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि एलजीबीटी समुदाय को समाज की सोच की वजह से भय के साथ जीना पड़ता है। वहीं, याचिकाकर्ता के वकील अशोक देसाई ने कहा कि समलैंगिकता भारतीय संस्कृति के लिए नई नहीं है।
जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने कहा कि परिवार और समाज के दबाव की वजह से एलजीबीटी समुदाय के लोग विपरित लिंग के लोगों से शादी करने को मजबूर किये जाते हैं और इसी की वजह से वह समलैंगिक संबंध बनाते हैं, जिससे उन्हें मानसिक प्रताड़ना का शिकार होना होता है। उन्होंने कहा कि पीठ को ऐसा लगता है कि एलजीबीटी समुदाय अपने प्रति लोगों के नजरिये की वजह से मेडिकल एेड पाने में भी असहज महसूस करते हैं। वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील श्याम दीवान ने कहा कि एलजीबीटी को अपराधियों की तरह देखा जाता है।
इससे पहले बुधवार को एडिशनल सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने संविधान पीठ से कहा था कि हम धारा 377 की संवैधानिकता का मुद्दा कोर्ट पर छोड़ते हैं। कोर्ट अपने विवेक से फैसला ले। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से इस मामले में हलफनामा भी पेश किया। उन्होंने पीठ से कहा कि अदालत सिर्फ ये देखे कि धारा 377 को अपराध से अलग किया जा सकता है या नहीं। उन्होंने पीठ से अनुरोध किया कि समलैंगिक विवाह, संपत्ति और पैतृक अधिकारों जैसे मुद्दों पर विचार नहीं किया जाए क्योंकि इसके कई प्रतिकूल नतीजे होंगे।
चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा था कि मुद्दा यह है कि सहमति से बालिग समलैंगिकों द्वारा यौन संबंध अपराध हैं या नहीं। समहति से बालिग द्वारा बनाया गया अप्राकृतिक संबंध अपराध नहीं होना चाहिए, बहस सुनने के बाद ही इस पर फैसला देंगे। इस मामले को समलैंगिकता तक सीमित न रखकर वयस्कों के बीच सहमति से किए गए कार्य जैसी व्यापक बहस तक ले जाया जा सकता है।
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस धनंजय वाई चन्द्रचूड़ और जस्टिस इन्दु मल्होत्रा की पांच सदस्यीय संविधान पीठ मामले पर सुनवाई कर रही है। पीठ ने कहा कि वह केवल भारतीय दंड संहिता की धारा 377 की संवैधानिक वैधता पर विचार करेगी जो समान लिंग के दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति से यौन संबंधों को अपराध घोषित करती है।
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    