कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत की याचिका खारिज करने वाले दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व जज सुनील गौड़ को प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) कोर्ट का चेयरमैन बनाया गया है। कई अहम मामलों में फैसला सुनाने वाले सुनील गौड़ 23 अगस्त को रिटायर हुए हैं, जिसके बाद उन्हें पीएमएलए कोर्ट का चेयरमैन नियुक्त कर बड़ी जिम्मेदारी दी गई है। पीएमएलए कोर्ट मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े मामलों की सुनवाई करती है।
दरअसल, सुनील गौड़ वही जज हैं, जिन्होंने आईएनएक्स मीडिया केस में पी. चिदंबरम की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इससे पहले उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के भांजे की भी अगस्तावेस्टलैंड मामले में अग्रिम जमानत खारिज कर दी थी।
रिटायर होने से दो दिन पहले चिदंबरम की याचिका पर फैसला सुनाया
जस्टिस गौड़ ने रिटायरमेंट से महज दो दिन पहले चिदंबरम की याचिका पर फैसला सुनाया था, जबकि इस याचिका पर सुनवाई जनवरी में पूरी कर ली गई थी और जस्टिस गौड़ ने फैसले को सुरक्षित रख लिया था। लेकिन अचानक रिटायर होने से दो दिन पहले उन्होंने याचिका पर फैसला सुनाकर चिदंबरम की अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी थी। साथ ही, आईएनएक्स मीडिया मामले में चिंदबरम को 'मुख्य सूत्रधार' भी बताया था। सुनील गौड़ ने आईएनएक्स मीडिया केस को 'मनी लॉन्ड्रिंग का गजब का मामला' बताया था। सुनील गौड़ ने कहा था कि पी. चिदंबरम को जमानत देने से समाज में गलत संदेश जाएगा।
हाई-प्रोफाइल मामलों से रहा है संबंध
सुनील गौड़ ने अपने कार्यकाल के दौरान कई हाई प्रोफाइल मामलों की सुनवाई की थी। सुनील गौड़ ने ही नेशनल हैराल्ड मामले में राहुल गांधी और सोनिया गांधी की कथित भूमिका और उनके खिलाफ केस चलाने की इजाजत दी। साथ ही, इसके नेशनल हेराल्ड के दिल्ली दफ्तर को खाली करने का आदेश दिया था, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ के भांजे रतुल पुरी के खिलाफ अगस्ता वेस्टलैंड मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस चलाने और जमानत याचिका खारिज करने का फैसला दिया था। सुनील गौड़ ने ही मोईन कुरैशी के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग मामले की सुनवाई की थी।
सुनील गौड़ को साल 2008 में हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। उन्हें 11 अप्रैल 2012 को स्थानीय न्यायाधीश नामित किया गया।