संयुक्त किसान मोर्चा ने युवाओं को आंदोलन से जोड़ने और काूननों पर चर्चा के लिए अब देश के कृषि विश्वविद्यालयों की ओर रूख करने का फैसला लिया है। इस निर्णय के तहत पहला कार्यक्रम लुधियाना के कृषि विश्वविद्यालय में तीन अप्रैल को होगा।
संयुक्त किसान मोर्चा के प्रमुख डा. दर्शनपाल ने मंगलवार को कुंडली बॉर्डर पर आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि कई बड़े लेखक अब तक अपने किताबों में यह बता चुके हैं कि आखिर क्यों नए कानून किसानों के लिए नुकसानदायक हैं। हाल ही में सरदार जोगिंद्र सिंह तूर ने अपनी किताब में साफ तौर पर कहा है कि ये कानून किस तरह से किसानों को कर्जदार और कंगाल बना देंगे। उन्होंने बताया कि किसानों को फसलों के भाव नहीं मिल रहे, जिसके कारण अब तक करीब 10 लाख के किसान खुदकुशी कर चुके हैं। जब से ये तीन काले कानून आए हैं और जहां-जहां लागू हुए हैं वहां के उदाहरण डराने वाले हैं।
एक मामले का जिक्र करते हुए डा. दर्शनपाल ने बताया कि मध्यप्रदेश में नकली व्यापारी फसल खरीद कर नकली चेक दे गए और वे चेक बाउंस हो गए। इस तरह के मामले देश में बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि किसान पिछले चार महीनों से कम से कम समर्थन मूल्य लेने के लिए दिल्ली के बॉर्डर पर संघर्ष कर रहे हैं और अब यह आंदोलन पूरे देश में फैल गया है। अब इस जन आंदोलन की आग में मोदी सरकार को पिघलना पड़ेगा। मोदी सरकार ने किसानों की जायज मांगे माननी पड़ेंगी।
उन्होंने कहा कि आंदोलन को मजबूत करने के लिए अब कृषि विश्वविद्यालयों में संयुक्त मोर्चा के किसान नेता पहुंचेंगे और युवाओं के साथ चर्चा करेंगे। इस कड़ी में लुधियाना के कृषि विवि में तीन अप्रैल से शुरूआत की जा रही है। इसके बाद हरियाणा के कृषि विवि में भी इसी तरह का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। जिसमें युवाओं के सामने देशभर की अनेक किसान एसोसिएशन कृषि कानूनों पर चर्चा करेगी।