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जानिए क्यों नहीं करनी चाहिए आधार की डिटेल साझा, यूआइडीएआइ ने जारी किए दिशा निर्देश

देश में आधार जारी करने वाली निकाय भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने आम जनता के लिए आधार की...
जानिए क्यों नहीं करनी चाहिए आधार की डिटेल साझा, यूआइडीएआइ ने जारी किए दिशा निर्देश

देश में आधार जारी करने वाली निकाय भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआइडीएआइ) ने आम जनता के लिए आधार की बायोमेट्रिक डिटेल्‍स साझा करते समय क्‍या करना चाहिए और क्‍या नहीं, इसकी जानकारी जारी की है। ट्राई प्रमुख आरएस शर्मा द्वारा आधार नंबर सार्वजनिक कर इसकी प्राइवेसी में सेंध लगाकर दिखाने का चैलेंज दिए जाने के बाद उठे विवाद को देखते हुए यूआइडीएआइ यह कदम उठाया है। इसके तहत आठ सवालों के जवाब दिए गए हैं। इनका उद्देश्‍य लोगों को आधार के पैन, बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड नंबर जैसी निजी सूचना के समकक्ष होने की बात समझाने के साथ ही लोगों को अपनी पर्सनल डिटेल्‍स किसी भी पब्लिक डोमेन, विशेषकर ट्विटर, फेसबुक जैसे डिजिटल प्‍लेटफॉर्म्‍स पर पोस्‍ट न करने के बारे में आगाह करना है। 

यूआइडीएआइ ने यह जानकारी फ्रीक्‍वेंटली आस्‍क्‍ड क्‍वेश्‍चंस (एफएक्यू) के रूप में जारी की है। इसमें बताया गया है कि कहां आधार नंबर देना है और कहां नहीं देना है। यूआइडीएआइ का कहना है कि आधार को पहचान के प्रमाण के तौर पर और ट्रांजेक्‍शन के लिए मुक्‍त रूप से इस्‍तेमाल किया जाना चाहिए, जैसे कि हम किसी अपने बैंक अकाउंट जैसी डिटेल्‍स किसी काम के लिए देते हैं। एफएक्यू में बताया गया है कि केवल आधार नंबर के जरिए किसी भी व्‍यक्ति को न ही नुकसान पहुंचाया जा सकता है और न ही उसका किसी तरह की डुप्‍लीकेसी के लिए गलत इस्‍तेमाल हो सकता है। इसकी वजह है कि इसमें बायोमेट्रिक्‍स और ओटीरपी ऑथेंटिकेशन जैसी अतिरिक्‍त सिक्‍योरिटी लेयर्स हैं, जो इसे किसी भी अन्‍य आइडी से ज्यादा सुरक्षित बनाती हैं।

सवाल 1- हाल ही में, यूआइडीएआइ ने हाल ही में आधार नंबर को पब्लिक डोमन विशेष रूप से सोशल मीडिया या अन्य सार्वजनिक मंचों पर साझा न करने की सलाह दी है। क्या इसका मतलब है कि मुझे आधार नंबर का स्वतंत्र रूप प्रयोग नहीं करना चाहिए?

जवाब- आपको अपनी पहचान को साबित करने और लेन-देन करने के लिए बिना किसी हिचकिचाहट के आधार का प्रयोग उसी तरह से करना चाहिए जैसे आप अपने बैंक खाता संख्या, पैन कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड इत्यादि का प्रयोग करते हैं। यूआइडीएआइ ने लोगों को यह सलाह दी है कि कि उन्हें आधार को ट्वीटर, फेसबुक जैसे पब्लिक प्लेटफॉर्म पर नहीं डालना चाहिए। लोग खरीदारी, स्कूल फीस देते समय, बिजली, पानी, टेलीफोन का बिल देते समय डेबिट कार्ड या क्रेडिट कार्ड का डिटेल देते हैं या चेक (जिस पर बैंक का अकाउंट नंबर लिखा होता है) देते हैं। उसी तरह आप अपनी पहचान साबित करने के लिए बिना किसी भय के आधार का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप इसका इस्तेमाल उसी तरह कर सकते हैं जैसे किसी अन्य पहचान कार्ड का।

सवाल 2- यदि आधार का इस्तेमाल स्वतंत्र रूप से पहचान साबित करने के किया जाना है और ऐसा करना सुरक्षित है, तो यूआइडीएआइ ने लोगों को सोशल मीडिया या पब्लिक डोमेन में अपना आधार नंबर नहीं देने की सलाह क्यों दी है?

जवाब- आप जहां भी जरूरी होता है पैन कार्ड, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड, बैंक चेक का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन क्या आप इनकी डिटेल खुले तौर पर इंटरनेट या फेसबुक, ट्वीटर जैसे सोशल मीडिया पर देते हैं? जाहिर है नहीं! आप पब्लिक डोमेन में अनावश्यक रूप से ऐसे निजी विवरण नहीं डालते हैं ताकि आपकी गोपनीयता पर कोई अनचाहा आक्रमण का प्रयास न हो। आधार के इस्तेमाल पर भी यही तर्क लागू करने की जरूरत है।

सवाल-3 मैंने अपना आधार कार्ड सर्विस प्रोवाइडर को अपनी पहचान सत्यापित करने के लिए दिया। क्या कोई मेरे आधार नंबर को जानकर और इसका इस्तेमाल कर मुझे हानि पहुंचा सकता है?

जवाब-नहीं। केवल आपका आधार नंबर जानकर कोई आपको हानि नहीं पहुंचा सकता है। यह पासपोर्ट, वोटर आइडी, पैन कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस की तरह पहचान सत्यापित करने का एक दस्तावेज है। इनका आप दशकों से सर्विस प्रोवाइडर के साथ इस्तेमाल कर रहे हैं। इसके बजाय आधार से तत्काल पहचान होता है इसलिए यह अधिक भरोसेमंद है। आधार एक्ट 2016 के अनुसार आधार कार्ड की जांच फिंगर प्रिंट, आंख की पुतली का स्कैन, ओटीपी और क्यू आर कोड के प्रमाणीकरण द्वारा की जाती है। अगर आप अपनी पहचान के लिए आधार का इस्तेमाल करते हैं तो कोई आपका वेष नहीं बना सकता। लोग धड़ल्ले से पासपोर्ट, वोटर आइडी, पैन कार्ड, राशन कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस आदि का इस्तेमाल पहचान के दस्तावेज के रूप में करते हैं। लेकिन क्या कोई इस डर से इसका इस्तेमाल नहीं करता कि कोई उनका वेष बना कर इसका इस्तेमाल कर सकता है। नहीं। वे इनका इस्तेमाल जारी रखते हैं और अगर कोई फ्रॉड होता है तो कानून प्रवर्तन एजेंसियां कानून के अनुसार इसका निपटारा करती हैं। आधार के मामले में भी यही बात लागू होती है। दूसरे दस्तावेजों की तुलना में आधार ज्यादा सुरक्षित है क्योंकि अन्य आइडी की तुलना में यह फिंगर प्रिंट, आंख की पुतली का स्कैन, ओटीपी और क्यू आर कोड के प्रमाणीकरण के बाद ही सत्यापित किया जाता है। इसके अलावा आधार एक्ट 2016 के अनुसार यदि कोई इसका दुरुपयोग करने या आपको हानि पहुंचाने का प्रयास करता है तो इसके लिए सजा और जुर्माने का भी प्रावधान है।

सवाल-4 क्या होगा यदि कोई जालसाज मेरे आधार कार्ड की कॉपी से मेरी जानकारी के बगैर मेरे नाम पर बैंक खाता खोलने की कोशिश करेगा। क्या इससे मुझे नुकसान नहीं होगा?

जवाब-हर व्यक्ति को यह ध्यान में रखना चाहिए कि बैंक खाता केवल आधार कार्ड या उसकी फोटो कॉपी देने से ही खोला जा सकता है। पीएमल रूल्स और आरबीआइ के नियमों के अनुसार बैंक खाता खोलने के लिए बैंक को आधारभूत लेनदेन या केवाईसी स्वीकार करने से पहले बायोमेट्रिक या ओटीपी प्रमाणीकरण और अन्य सावधानी बरतनी होती है। इसलिए बिना बायोमेट्रिक या ओटीपी प्रमाणीकरण के कोई भी आपके नाम पर खाता नहीं खोल सकता है। अगर आधार के बिना बायोमेट्रिक या ओटीपी प्रमाणीकरण के खाता खोल भी दिया जाता है तो किसी भी नुकसान के लिए बैंक जिम्मेदार होगा। आधार धारक बैंक की गलती के लिए जिम्मेदार नहीं होगा। हालांकि आज तक किसी आधार धारक को इस तरह के दुरुपयोग की वजह नुकसान नहीं हुआ है।

सवाल-5 कई ऐसी भी एजेंसिंया हैं जो केवल आधार की कॉपी स्वीकार करती हैं और बायोमेट्रिक या ओटीपी प्रमाणीकरण या सत्यापन नहीं करती। क्या यह सही है ?

जवाब- आधार एक्ट के अनुसार उचित प्रमाणीकरण के बाद आधार पहचान के सबूत के रूप में स्वीकार किया जाता है। इसके अलावा, यूआइडीएआइ भी दृढ़ता से अनुशंसा करता है कि यदि प्रमाणीकरण सुविधा उपलब्ध नहीं है, तो आधार कार्ड पर उपलब्ध क्यूआर कोड के माध्यम से आधार का सत्यापन ऑफलाइन किया जाना चाहिए। अगर कोई एजेंसी इसे नहीं मानती है तो आधार धारक एजेंसी द्वारा किए गए गलत काम के लिए जिम्मेदार नहीं होगा

सवाल-6 यदि किसी जालसाज के पास मेरा आधार नंबर या कार्ड हो तो क्या वह आधार से लिंक मेरे बैंक खाते से पैसा निकाल सकता है? क्या किसी आधार धारक को वित्तीय या अन्य नुकसान हुआ है?

जवाब-जिस तरह आपका अकाउंट नंबर जान लेने से कोई आपके खाते से पैसा नहीं निकाल सकता है उसी तरह आधार नंबर जान लेने भर से इसके लिंक खाते से कोई पैसा नहीं निकाल सकता है। बैंक से पैसा निकालने के लिए हस्ताक्षर, डेबिट कार्ड, पिन, ओटीपी आदि की जरूरत पड़ती है। उसी तरह आधार से लिंक खाते के लिए फिंगर प्रिंट, आंख की पुतलियों का मिलान या आधार में दर्ज मोबाइल नंबर पर भेजे गए ओटीपी की जरूरत पड़ती है। अभी तक किसी आधार धारक को वित्तीय नुकसान नहीं हुआ है।

सवाल-7 मुझे बैंक खाता, डीमैट खाता, पैन और कई अन्य सेवाओं को आधार के साथ सत्यापित करने के लिए क्यों कहा जाता है?

जवाब-जब आप अपना बैंक खाता, डीमैट खाता, म्युचुअल फंड खाता, पैन आदि आधार से लिंक करा लेते हैं तो आप इस बात से खुद को सुरक्षित कर लेते हैं कि कोई भी आपका वेष बना कर इन सुविधाओं का संचालन नहीं कर सकता है। अक्सर धोखाधड़ी करने वाले अपने खाते खोलते समय बैंक को अपनी नकली पहचान जमा करते हैं। ये फर्जी नाम/ कंपनियों से अपने बैंक खाते संचालित करते हैं और शेल कंपनियों के माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग करते हैं या काला धन लगाते हैं। इसकी वजह से ही बैंक खाते आधार से सत्यापित किए जाते हैं। इससे ये बेईमान तत्व अपनी पहचान नहीं छुपा पाएंगे और इनकी पहचान हो जाएगी। सभी खाताधारकों की पहचान हो जाने की वजह से बैंकिंग ज्यादा सुरक्षित हो गई है। अभी तक 110 करोड़ खातों में से 96 करोड़ खाते आधार से लिंक कर दिए गए हैं।

सवाल-8 क्या बैंक खाते, पैन और अन्य सेवाओं को आधार के साथ जोड़ने से मुझे असुरक्षित बना दिया जाता है?

जवाब-नहीं। बैंक अपनी जानकारियों को किसी दूसरे के साथ साझा नहीं करता है। इसकी वजह आपका आधार नंबर जान लेने भर से कोई आपके खाते के बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं कर सकता है। उदाहरण के लिए, जैसे आप अपना मोबाइल नंबर बैंक, पासपोर्ट कार्यालय, आयकर विभाग आदि को देते हैं तो क्या टेलीकॉम कंपनी आपके बैंक की जानकारी, आयकर रिटर्न आदि का पता कर सकती है? जाहिर है नहीं। इसी तरह, जब आप कई सर्विस प्रोवाइडर को अपना आधार देते हैं तो वह जानकारी उसी के पास रहती है।

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