प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और अनिल आर दवे की पीठ ने संबंधित पक्षों से सभी आंकड़ों और दूसरे बिंदुओं के बारे में लिखित में तैयार करने का निर्देश देते हुए कहा कि यह गंभीर विषय है जिस पर विचार की आवश्यकता है। पीठ ने कहा कि कुछ उपाय करने की जरूरत है। देखिये जनता किस तरह की समस्याओं से रूबरू हो रही है। लोगों को हाई कोर्ट जाना ही पड़ेगा। यदि हम हाई कोर्ट जाने का उनका विकल्प बंद कर देंगे तो हमें समस्या की गंभीरता का कैसे पता चलेगा। लोगों के विभिन्न अदालतों में जाने से ही समस्या की गंभीरता का पता चलता है।
पीठ ने यह टिप्पणियां उस वक्त की जब अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि पांच सौ और एक हजार रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण को चुनौती देने वाले किसी भी मामले पर सिर्फ देश की शीर्ष अदालत को ही विचार करना चाहिए। हालांकि, पीठ ने कहा कि जनता प्रभावित है। जनता व्यग्र है। जनता को अदालतों में जाने का अधिकार है। समस्याएं हैं और क्या आप (केंद्र) इसका प्रतिवाद कर सकते हैं। अटार्नी जनरल ने कहा कि इसमें कोई विवाद नहीं है परंतु ये कतारें अब छोटी हो रही हैं। उन्होंने तो यह भी सुझाव दिया कि प्रधान न्यायाधीश भी भोजनावकाश के दौरान बाहर जाकर स्वंय इन कतारों को देख सकते हैं।
मुकुल रोहतगी ने पीठ से कहा कि कृप भोजनावकाश के दौरान जाइए। इसके साथ ही उन्होंने स्थिति को कथित रूप से बढ़ा चढ़ाकर पेश करने पर एक निजी पक्ष की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल के कथन पर आपत्ति व्यक्त की।