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अब लखनऊ के केजीएमयू में प्लाज्मा थैरेपी, महिला डॉक्टर बनीं डोनर

कोविड-19 के इलाज में अभी तक कारगर मानी जा रही प्लाज्मा थैरेपी की लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी...
अब लखनऊ के केजीएमयू में प्लाज्मा थैरेपी, महिला डॉक्टर बनीं डोनर

कोविड-19 के इलाज में अभी तक कारगर मानी जा रही प्लाज्मा थैरेपी की लखनऊ के किंग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) में भी शुरुआत हो गई। केजीएमयू में भर्ती एक डॉक्टर को अभी प्लाज्मा की पहली डोज दी गई है। हालत देखकर अगली डोज दी जाएगी। डोनर करने वाली कनाडा की महिला डॉक्टर थी, जो कोरोना से जंग जीतने के बाद घर लौट चुकी हैं और पूरी तरह स्वस्थ हैं। 

इससे पहले दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी हुई है। दिल्ली में प्लाज्मा थेरेपी के बाद कई मरीज पूरी तरह स्वस्थ हो चुके हैं। उरई के जिस 58 वर्षीय डॉक्टर की थैरेपी की गई, उन्हें शनिवार को संक्रमित होने के बाद केजीएमयू में भर्ती कराया गया।  रविवार को भी उनकी हालत में सुधार नहीं हुआ। सांस लेने में दिक्कत बढ़ने लगी। शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा गड़बड़ाने लगी। वेंटिलेटर पर भी स्थिति नियंत्रित नहीं हुई। हालत गंभीर देखकर प्लाज्मा थैरेपी का फैसला लिया गया।

दो दिन बाद दी जाएगी दूसरी थेरेपी

केजीएमयू में शुक्रवार को रेजीडेंट डॉक्टर और एक अन्य व्यक्ति ने प्लाज्मा डोनेट किया था। दोनों का ब्लड ग्रुप ‘बी’ पॉजिटिव था, जबकि उरई के डॉक्टर का ‘ओ’ पॉजिटिव। तब कोरोना से ठीक होने वाली गोमतीनगर की महिला डॉक्टर को बुलाया गया। कनाडा की महिला डॉक्टर ने  प्लाज्मा डोनेट किया। अस्पताल में यह पहली थेरेपी दी गई है। दो दिन हालत देखने के बाद दूसरी थेरेपी दी जाएगी। उरई के डॉक्टर केजीएमयू के 1981 बैच के एमबीबीएस हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कोर टीम के साथ रविवार को सुबह बैठक में कहा था कि अब कोरोना प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए प्लाज्मा थेरेपी को बढ़ाने पर विचार करना चाहिए, क्योंकि इसके अच्छे परिणाम मिले हैं। प्रदेश के अस्पतालों में सभी आवश्यक संसाधनों की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

ये है प्लाज्मा थैरेपी

कोविड-19 के मरीजों के ब्लड से प्लाज्मा निकालकर दूसरे संक्रमितों को ठीक करने के लिए दिया जाता है। असल में ठीक हो चुके लोगों में ऐसा एंटीबॉडी विकसित हो जाता है जो वायरस से लड़ता है। इस एंटीबॉडी का इस्तेमाल दूसरे मरीज के लिए भी किया जाता है।

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