#MeToo अभियान के तहत यौन उत्पीड़न के आरोपों में फंसे पूर्व केंद्रीय मंत्री एमजे अकबर पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि मामले में बुधवार को दिल्ली के एक कोर्ट में अपना बयान दर्ज कराया। उन्होंने पटियाला हाउस कोर्ट में कहा, 'मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ उनके द्वारा किए गए कई ट्वीट्स के लिए आपराधिक मानहानि का केस किया है। अपने आधिकारिक दौरे से लौटने के बाद पहली बार यह मेरे ध्यान में आया।'
अकबर ने कहा कि इन ट्वीट्स का संबंध वोग मैगजीन में प्रकाशित आर्टिकल से था। लेख में अपमानजनक हिस्सा वह था, जिसमें उन्होंने (पत्रकार प्रिया रमानी) मेरे संदर्भ में एक 'टैलेंटेड प्रीडेटर' और एक विशेषज्ञ ऑन 'सो-ऐंड-सो' लिखा था।
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, कोर्ट में एमजे अकबर ने आगे कहा कि उनके ट्वीट का शुरुआती वाक्य ही गलत था। जब आर्टिकल पहली बार वोग मैगजीन में प्रकाशित हुआ था, इसमें मेरा नाम शामिल नहीं था। जब उनसे इसके बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा था क्योंकि मैंने कुछ नहीं किया। अकबर ने कहा कि इससे साफ है कि वोग की तरफ से उन्हें ऐसा करने की सलाह दी गई कि मेरा नाम होने से जवाबदेही तय होगी।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को
'MeToo' अभियान के सामने आने और कई महिला पत्रकारों द्वारा अकबर के खिलाफ आरोप लगाए जाने के 10 दिन बाद भारतीय राजनीति में यह पहला इस्तीफा था। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 नवंबर को होगी।
'ऑफिस से अलग मैंने अपनी निजी क्षमता में इंसाफ पाने का निश्चय किया'
उन्होंने आगे कहा, 'अस्पष्ट प्रकृति के झूठे और मनगढ़ंत आरोप लगाने से उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। कथित और गढ़ी गई घटनाओं को लेकर मुझ पर निशाना साधा गया। ऑफिस से अलग मैंने अपनी निजी क्षमता में इंसाफ पाने का निश्चय किया और इसी कारण इस्तीफा दे दिया।' अब मामले की सुनवाई 12 नवंबर को होगी। आपको बता दें कि ‘मिंट लाउंज’ की पूर्व संपादक प्रिया रमानी ने एक साल पहले लेख लिखा था और अब उन्होंने मीटू कैंपेन में अकबर का नाम लिया।
मैं 2014 में राजनीति में आया: एमजे अकबर
एमजे एकबर ने आगे अपने बयान में कहा कि वह हेडलाइंस टुडे के एडिटोरियल डायरेक्टर रहे। मैं इस समय मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद हूं। मैं 2014 में राजनीति में आया, मुझे बीजेपी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया गया। 2015 में मुझे झारखंड से राज्यसभा सांसद बनाया गया फिर 2016 में मुझे मध्य प्रदेश से संसद भेजा गया। मुझे फिर प्रधानमंत्री मोदी की काबिनेट में राज्यमंत्री के तौर पर काम करने का अवसर दिया गया। मैंने प्रिया रमानी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकद्दमा किया है। उन्होंने मेरे खिलाफ सिलसिलेवार कई ट्वीट किए।
18 अक्टूबर को एमजे अकबर कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए थे
दरअसल, 18 अक्टूबर को मामले की सुनवाई में एमजे अकबर कोर्ट के समक्ष पेश नहीं हुए थे। अगर कोर्ट एमजे अकबर के बयान से संतुष्ट हो जाता है तो फिर कोर्ट के सामने पेश होने के लिए पत्रकार प्रिया रमानी को नोटिस भेजा जाएगा।
कोर्ट ने 18 अक्टूबर को पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ मानहानि मुकदमे को स्वीकार किया
18 अक्टूबर को दिल्ली की एक अदालत ने पत्रकार प्रिया रमानी के खिलाफ एमजे अकबर के आपराधिक मानहानि मुकदमे को स्वीकार कर लिया और कहा कि 31 अक्टूबर को भाजपा नेता का बयान दर्ज किया जाएगा। अतिरिक्त मुख्य महानगर दंडाधिकारी समर विशाल ने कहा, ‘मैं आईपीसी की धारा 500 (मानहानि के लिए सजा) के तहत अपराध का संज्ञान लेता हूं’।
पिछली सुनवाई में एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने रखा था अपना पक्ष
पिछली सुनवाई में एमजे अकबर की वकील गीता लूथरा ने इस मामले में अपना पक्ष रखा। लूथरा ने कोर्ट से मानहानि मुकदमे को संज्ञान में लेने और महिला पत्रकार के खिलाफ मामला शुरू करने का आग्रह किया। अकबर ने रमानी के विरुद्ध मानहानि के आरोपों को साबित करने के लिए दो महिला पत्रकारों ‘द संडे गार्जियन’ की संपादक जॉयिता बसु और पत्रकार वीनू संदल और चार अन्य को अपने गवाहों के तौर पर नाम दाखिल किए हैं।
लूथरा ने अदालत से कहा कि रमानी के विवादास्पद ट्वीट और सोशल मीडिया पोस्ट ने गत 40 वर्षो में बनी अकबर की छवि को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।
अकबर ने कहा- प्रिया रमानी के अपमानजनक बयान से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है
गौरतलब है कि अकबर पर यौन उत्पीड़न का आरोप सबसे पहले प्रिया रमानी ने लगाया था। अकबर ने अपने वकील के जरिए अदालत से कहा कि प्रिया रमानी के अपमानजनक बयान से उनकी छवि को नुकसान पहुंचा है और लोगों की नजर में उनकी प्रतिष्ठा धूमिल हुई है।