ज्वाइंट एंट्रेस एग्जाम (जेईई मेन) की भाषा को लेकर पश्चिम बंगाल की मुखयमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल किया है। जेईई में हिंदी-अंग्रेजी के साथ गुजराती भाषा को वैकल्पिक भाषा के तौर पर शामिल किया जाएगा। इस पर ममता बनर्जी ने आपत्ति जताते हुए कहा कि मुझे गुजराती भाषा पसंद है, लेकिन अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को नजरअंदाज क्यों किया गया। यदि जेईई मेन की परीक्षा गुजराती में हो रही है तो फिर बांग्ला समेत अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी होनी चाहिए। वहीं,नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कहा है कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है। बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया।
ममता बनर्जी ने ट्वीट कर कहा, 'आश्चर्य की बात है जेईई मेन हिंदी और अंग्रेजी में होती है, वहीं विकल्प के तौर पर परीक्षा में केवल गुजराती भाषा को जोड़ा गया। सरकार का ये कदम सराहनीय नहीं कहा जा सकता। मैं गुजराती भाषा से प्यार करती हूं लेकिन हमारी क्षेत्रीय भाषा को क्यों अनदेखा किया जा रहा है। ऐसा अन्याय हमारे साथ क्यों किया जा रहा है। इस मुद्दे को गंभीरता से सुलझाया जाना चाहिए।'
'केंद्र की मंशा ठीक नहीं'
उन्होंने ट्वीट कर कहा, 'हमारा देश भारत कई भाषाओं और धर्म और संस्कृतियों और समुदायों का घर है। हालांकि, केंद्र सरकार की मंशा सभी क्षेत्रों और क्षेत्रीय भाषाओं को खराब करना है।'
इससे पहले नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (एनटीए) ने कहा है कि गुजरात ने हमसे अनुरोध किया था इसलिए गुजराती में प्रश्नपत्र उपलब्ध करने की व्यवस्था है। बाकी के राज्यों ने इस संबंध में हमसे कोई संपर्क नहीं किया है। 2013 में सभी राज्यों को अनुरोध भेजा गया था। सिर्फ गुजरात ही अपने इंजिनियरिंग कॉलेजों में स्टूडेंट्स को जेईई(मेन) के जरिए दाखिला दिलवाने के लिए तैयार हुआ और उसने साथ में अपील की थी कि प्रश्नपत्र गुजराती भाषा में उपलब्ध होना चाहिए।
गुजरात ने किया था अनुरोधः एनटीए
एनटीए ने कहा, 'इसके बाद 2014 में महाराष्ट्र भी अपने कैंडिडेट को राज्य इंजिनियरिंग कॉलेज में जेईई (मेन) के जरिए दाखिला दिलाने के लिए तैयार हुआ। महाराष्ट्र ने प्रवेश परीक्षा का पेपर उर्दू और मराठी में भी उपलब्ध कराने की अपील की थी। 2016 में दोनों राज्यों ने जेईई (मेन) के जरिए प्रवेश दिलाने का फैसला रद्द कर दिया। इसके बाद मराठी और उर्दू में प्रश्नपत्र का अनुवाद बंद कर दिया गया। हालांकि गुजरात सरकार के अनुरोध पर जेईई (मेन) के टेस्ट पेपर का गुजराती में अनुवाद जारी रहा। अन्य राज्यों में से किसी ने भी जेईई अन्य राषट्रीय भाषा में कराने के लिए नहीं कहा।