पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में चुनाव कराए जाने पर भारत ने कड़ी आपत्ति जताई है। अब भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी इस पर सवाल उठाया है। मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान द्वारा उठाया कदम पूरी तरह से गलत और अवैध है। इन भारतीय क्षेत्रों पर पाकिस्तान का कोई अधिकार नहीं है। उसे अपने अवैध कब्जे वाले सभी इलाकों को खाली कर देना चाहिए और वहां पर जारी मानव अधिकारों के हनन को रोके।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को इसको लेकर बयान जारी किया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान द्वारा अपने संसाधनों का इस्तेमाल करके पीओके में यह हरकत करना पूरी तरह से छलावा है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय भू-भाग में यह तथाकथित चुनाव कुछ और नहीं, बल्कि पाकिस्तान द्वारा अपने अवैध कब्जे की सच्चाई और इन क्षेत्रों में उसके द्वारा किये गये बदलावों को छिपाने की कोशिश है। ’’
प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, ‘‘इस तरह का कार्य ना तो पाकिस्तान द्वारा किये गये अवैध कब्जे के सच को छिप सकता है और ना ही इन अवैध कब्जे वाले क्षेत्रों में उसके द्वारा किये गये मानवाधिकारों के गंभीर हनन, शोषण और लोगों को स्वतंत्रता से वंचित करने के कृत्य पर पर्दा डाल सकता है।’’
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की इस कवायद का स्थानीय लोगों ने भी विरोध किया है और उसे खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि स्थानीय लोगों ने इस चुनाव की पुरजोर खिलाफत की है। साथ ही इसको लेकर जगह-जगह पर विरोध प्रदर्शन भी हुए हैं।
बता दें कि पीओके विधानसभा में कुल 53 सीट है, लेकिन इनमें से 45 सीटों पर सीधे निर्वाचन किया जाता है जबकि पांच सीट महिलाओं के लिए आरक्षित हैं और तीन विज्ञान विशेषज्ञों के लिए हैं. सीधे चुने जाने वाले 45 सदस्यों में से 33 सीटें पीओके के निवासियों के लिए हैं और 12 सीटें शरणार्थियों के लिए हैं, जो बीते वर्षों में कश्मीर से यहां आए थे और पाकिस्तान के विभिन्न शहरों में बस गए है।
पीओके के विभिन्न जिलों की 33 सीटों पर कुल 587 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा जबकि पाकिस्तान में बसे जम्मू-कश्मीर के शरणार्थियों की 12 सीटें पर 121 प्रत्याशी मैदान में थे। पीओके की संवैधानिक स्थिति एक स्वायत्तशासी प्रदेश की है। लेकिन पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान यहां चुनाव के जरिए पीओके को अपने देश में शामिल करने की चाल चल रहे हैं।