तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया है, जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल द्वारा प्रमुख विधेयकों को रोकना "अवैध" और "मनमाना" था। शीर्ष अदालत की कार्रवाई की सराहना करते हुए स्टालिन ने कहा कि यह फैसला "भारत की सभी राज्य सरकारों" की जीत है।
पीटीआई ने सीएम के हवाले से कहा, ''संविधान राज्यपाल को एक बार पारित किए गए विधेयकों को दूसरी बार मंजूरी देने का आदेश देता है, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया...वह भी देरी कर रहे थे।''
स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "हम माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आज के ऐतिहासिक फैसले का धन्यवाद और स्वागत करते हैं, जिसमें राज्य विधानसभाओं के विधायी अधिकारों की पुष्टि की गई है और विपक्ष शासित राज्यों में प्रगतिशील विधायी सुधारों को रोकने वाले केंद्र सरकार द्वारा नामित राज्यपालों की प्रवृत्ति को समाप्त किया गया है।"
केरल के मंत्रियों ने भी सुप्रीम कोर्ट के फैसले की सराहना की। मंत्री पी राजीव और के राजन ने सुप्रीम कोर्ट की प्रशंसा की और कहा कि शीर्ष अदालत ने "देश के संविधान और लोकतंत्र को बरकरार रखा है।"
आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला क्या था?
सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया कि तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि द्वारा सहमति न देना "अवैध" था। यह फैसला ऐसे समय में आया है जब डीएमके सरकार और राज्यपाल आरएन रवि कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं। रिपोर्टों के अनुसार, राज्यपाल रवि ने राज्य विधानसभा द्वारा पारित 10 विधेयकों को राष्ट्रपति के विचार के लिए सुरक्षित रखा था। हालांकि, शीर्ष अदालत के अनुसार, राज्यपाल के पास ऐसा करने का अधिकार नहीं है, खासकर तब जब राज्य विधानसभा द्वारा विधेयकों को राज्यपाल के समक्ष दूसरी बार पेश किया गया हो।