बता दें कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा जिले में आयोजित इस वार्षिक आयोजन को ‘गोटमार मेला’ कहा जाता है। राज्य सरकार के तमाम प्रयासों के बाद भी जाम नदी के किनारे मंगलवार को आयोजित विश्व प्रसिद्ध गोटमार मेले में जमकर उपद्रव हुआ। झंडे की पूजा के बाद जैसे ही गोटमार मेले की शुरुआत हुई पांढुर्णा और सावरगांव के लोगों ने पत्थर इकट्ठा करने शुरू कर दिए। हालांकि पुलिस की तमाम कोशिश के बाद भी दोनों गावों के लोगों ने पत्थरबाजी की और मेले में खूनी संघर्ष हुआ। मेले में हुए इस खूनी संघर्ष में दोनों पक्ष के करीब 259 लोग घायल हुए। इलाज की पर्याप्त व्यवस्था न होने के कारण लोगों का गुस्सा प्रशासन पर भी फूटा और उन्होंने एंबुलेंस में भी तोड़फोड़ की।
हालात को काबू में करने के लिए पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। इसके लिए प्रशासन ने सुरक्षा के भारी बंदोबस्त के साथ मेला क्षेत्र में धारा 144 लगा दी, उसके बाद भी पत्थरबाजी नहीं रुक पाई। पुलिस ने दोनों गांव की आपसी सहमती से शाम को मेले को खत्म कर दिया।
क्या है गोटमार मेला?
गोटमार मेले का आयोजन मध्यप्रदेश के छिंदवाड़ा जिले के पांढुर्णा कस्बे में हर साल आयोजित किया जाता है। इस मेले का आयोजन भादो महीने के कृष्ण पक्ष में अमावस्या के दूसरे दिन किया जाता है। इस क्षेत्र में मराठी भाषा बोलने वाले लोगों की बहुलता है। मराठी भाषा में गोटमार का मतलब पत्थर मारना होता है। इस मेले में सुबह से लेकर शाम सूर्य अस्त होने तक दोनों गांव के लोग एक दूसरे पर पत्थर बरसाते हैं। इसमें हर साल कई लोग घायल होते हैं, वहीं पथराव में कुछ लोगों की मृत्यु के मामले भी सामने आ चुके हैं।