दिल्ली हिंसा को लेकर शिरोमणि अकाली दल के सांसद और पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल के बेेटे नरेश गुजराल ने पुलिस की भूमिका पर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने उपराज्यपाल अनिल बैजल और पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक को पत्र लिखकर कहा है कि पूरे मामले में पुलिस की भूमिका निष्क्रिय दिखी। वो लगभग वैसी ही थी जैसी हमने 1984 में सिखों के खिलाफ हिंसा के दौरान देखी थी। उन्होंने पुलिस पर उनकी शिकायत पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप भी लगाया है।
भाजपा की सहयोगी दल के सांसद गुजराल ने कहा कि कोई भी नहीं चाहेगा कि देश में कहीं भी फिर से 1984 जैसी हिंसा हो। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यकों के जीवन और संपत्तियों की रक्षा करने की दिशा में दिल्ली पुलिस की "निष्क्रियता" 1984 के सिख विरोधी दंगों के दौरान हुई घटनाओं की याद ताजा कराती है, यह चौंकाने वाला है।
सासंद की शिकायत पर भी पुलिस ने नहीं की कार्रवाई
गुजराल ने लिखी शिकायत में कहा है कि बुधवार रात दिल्ली के मौजपुर में घोंडा चौक के पास एक घर के अंदर फंसे 16 मुसलमानों की सहायता के लिए उन्होंने पुलिस से सहायता मांगी लेकिन उनके अनुरोध पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। उस समय भीड़ अंदर घुसने की कोशिश कर रही थी। उन्होंने कहा, “मैंने तुरंत एक शिकायत दर्ज करने के लिए 100 नंबर पर फोन किया और पुलिस अधिकारी को उस सज्जन का फोन नंबर दिया जिसका मुझे फोन आया था। मैंने ऑपरेटर को अपने सांसद होने का परिचय देते हुए मौके की नजाकत के बारे में बताया। रात करीब 11:43 बजे दिल्ली पुलिस ने मुझे इस बात की पुष्टि की कि मेरी शिकायत प्राप्त हुई है जिसका संदर्भ संख्या 946603 है।
पुलिस की भूमिका संदिग्ध
गुजराल ने लिखा, 'हालांकि मुझे निराशा हुई कि मेरी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं हुई और उन फंसे हुए लोगों को बचाने के लिए दिल्ली पुलिस से कोई सहायता नहीं मिली।' सांसद गुजराल ने कहा कि 16 मुसलमान केवल इसलिए बच गए क्योंकि कुछ हिंदू उन्हें बचाने के लिए आए। उन्होंने कहा, "जब एक सांसद के साथ यह स्थिति है तो यह आश्चर्यजनक नहीं है कि जल रही दिल्ली के बीच पुलिस की भूमिका कितनी संदिग्ध रही होगी।"
बता दें कि नॉर्थ ईस्टे दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) को लेकर सांप्रदायिक झड़पों में कम से कम 34 लोगों की मौत हो गई और 200 से अधिक घायल हो गए। उन्मादी भीड़ ने घरों, दुकानों, वाहनों, एक पेट्रोल पंप को आग लगा दी। स्थानीय लोगों और पुलिस कर्मियों पर पथराव किया। हिंसा के चलते खासतौर पर जाफराबाद, मौजपुर, बाबरपुर, यमुना विहार, भजनपुरा, चांद बाग और शिव विहार इलाके प्रभावित रहे।