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नारद स्टिंग मामलाः हाईकोर्ट ने टीएमसी के 4 नेताओं को 'हाउस अरेस्ट' करने का दिया आदेश, सीबीआई की मांग ठुकराई

कोलकाता हाई कोर्ट की दो-जजों की पीठ ने गौतम नवलखा मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुरूप...
नारद स्टिंग मामलाः हाईकोर्ट ने टीएमसी के 4 नेताओं को 'हाउस अरेस्ट'  करने का दिया आदेश, सीबीआई की मांग ठुकराई

कोलकाता हाई कोर्ट की दो-जजों की पीठ ने गौतम नवलखा मामले में सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के अनुरूप शुक्रवार को आदेश दिया कि सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस के तीन प्रमुख नेताओं और कोलकाता के एक पूर्व मेयर को जेल में रखने के बजाए घर में नजरबंद रखा जाए। मामले में अब बड़ी पीठ सुनवाई करेगी।

मामले की सुनवाई शुरू होते ही हाईकोर्ट की यह पीठ फैसला सुनाने को लेकर बंटी हुई दिखाई दी। अरिजीत बनर्जी टीएमसी नेता सुब्रत मुखर्जी, मदन मित्रा, फिरहाद हकीम और पार्टी के पूर्व नेता शोभन चटर्जी का जमानत देने के लिए सहमत थे। लेकिन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल इसके खिलाफ थे। 

इसलिए, तृणमूल नेताओं और पूर्व मेयर की नजरबंद का आदेश तदर्थ व्यवस्था के रूप में उस समय तक  पारित किया गया है जब तक बड़ी पीठ में इस मामले की सुनवाई नहीं होती। पीठ ने कोविड-19 की दूसरी लहर के मद्देनजर चारों नेताओं को न्यायिक हिरासत के बजाय उन्हें घर में नजरबंद करने का आदेश जारी किया।

मंत्री सुब्रत मुखर्जी और फिरहाद हकीम, तृणमूल कांग्रेस विधायक मदन मित्रा और कोलकाता के पूर्व मेयर सोवन चटर्जी को गिरफ्तारी के बाद सोमवार को सीबीआई की विशेष अदालत ने अंतरिम जमानत दे दी थी लेकिन उसी रात सीबीआई की अपील पर हाई कोर्ट ने इस आदेश पर रोक लगा दी थी।

सीबीआई द्वारा विशेष सीबीआई अदालत से मामले को स्थानांतरित करने की मांग के बाद हाई कोर्ट ने अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी।  सीबीआई ने इसका कारण एक धमकी को बताया था कि तृणमूल प्रमुख और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सीबीआई कार्यालय में छह घंटे तक धराना दिया और एक भय का माहौल उत्पन्न किया था। चारों नेताओं ने हाई कोर्ट के समक्ष एक आवेदन दायर कर स्थगन आदेश को वापस लेने और अंतरिम जमानत दिए जाने का आग्रह किया था।

चारों नेताओं को सीबीआई ने नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किए थे। खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई को एक दिन के लिए टाल दिया था।

क्या है मामला

साल 2016 में बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले नारदा स्टिंग टेप सार्वजनिक किए गए थे। ऐसा दावा किया गया था कि ये टेप साल 2014 में रिकॉर्ड किए गए थे। इसमें टीएमसी के मंत्री, सांसद और विधायक की तरह दिखने वाले वयक्तियों को कथित रूप से एक काल्पनिक कंपनी के प्रतिनिधियों से कैश लेते दिखाया गया था। यह स्टिंग ऑपरेशन नारदा न्यूज पोर्टल के मैथ्यू सैमुअल ने किया था। साल 2017 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने इन टेप की जांच का आदेश सीबीआई को दिया था। 

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