राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के एमएलसी प्रकाश गजभिए ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। उन्होंने इस पत्र में भीमा कोरेगांव हिंसा में दलितों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने की मांग की है। वहीं, इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा कि पिछली सरकार ने भीमा कोरेगांव मामले के मामलों को वापस लेने का आदेश दिया था। सबसे पहले हम यह देख रहे हैं कि क्या इसे लागू किया गया था।
31 दिसंबर, 2017 को मुंबई में यलगार परिषद के कार्यक्रम के अगले दिन पहली जनवरी 2018 को भीमा कोरेगांव में हिंसा भड़क गई थी। इसमें एक व्यक्ति की जान चली गई थी। कई अन्य घायल हुए थे। सरकारी संपत्ति का भी काफी नुकसान हुआ था।
पुलिस ने इ्न्हें किया था गिरफ्तार
महाराष्ट्र पुलिस ने तब पांच सामाजिक कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। जांच में उन्हें 'अर्बन नक्सली' बताते हुए आरोप लगाया गया कि वे पीएम मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे। इनमें वेरनॉन गोंसाल्विज, अरुण फरेरा, सुधा भरद्वाज, वरवर राव और गौतम नवलखा शामिल थे। जांच के बाद मामले में पांच अन्य शोमा सेन, सुरेंद्र गडलिंग, महेश राउत, रोना विल्सन, और सुधीर धवले को भी शामिल कर लिया गया। इन्हें पिछले साल जून में गिरफ्तार किया गया।
माओवादियों से संबंध होने का लगाया था आरोप
महाराष्ट्र पुलिस ने आरोप लगाया था कि पांचों सामाजिक कार्यकर्ताओं के माओवादियों से संबंध हैं। यह सभी आरोपी सरकार को अस्थिर करने के लिए काम कर रहे थे। सभी आरोपियों के खिलाफ गरै-कानूनी गतिविधि निषेध कानून और आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। सभी ने आरोपों से इनकार करते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।