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पठानकोट हमला : एनडीटीवी चैनल को एक दिन प्रसारण रोकने का आदेश

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा गठित एक अंतर-मंत्रालयी समिति की सिफारिश के बाद आज एक हिंदी समाचार चैनल को आदेश दिया गया कि वह एक दिन के लिए प्रसारण रोके। समिति ने पठानकोट वायुसेना अड्डे पर इस साल जनवरी में हुए आतंकी हमले की कवरेज के संदर्भ में चैनल पर कार्रवाई की सिफारिश की है।
पठानकोट हमला : एनडीटीवी चैनल को एक दिन प्रसारण रोकने का आदेश

आधिकारिक सूत्रों के अनुसार अंतर मंत्रालयी समिति इस निष्कर्ष पर पहुंची है कि प्रसारक ने पठानकोट हमले को कवर करते समय रणनीतिक रूप से संवेदनशील ब्यौरे का खुलासा कर दिया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने केबल टीवी नेटवर्क (नियमन) अधिनियमन के तहत शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कहा कि एनडीटीवी इंडिया को आदेश दिया जाता है कि वह 9 नवंबर, 2016 के दिन की शुरूआत (आठ नवंबर की देर रात 12:01 मिनट) से लेकर 10 नवंबर, 2016 के दिन के खत्म होने (नौ नवंबर की देर रात 12:01 बजे) तक के लिए प्रसारण अथवा पुनर्प्रसारण पूरे भारत में हर प्लेटफार्म पर बंद रखेगा। आतंकी हमले की कवरेज के संदर्भ में यह किसी चैनल के खिलाफ इस तरह का पहला आदेश है। इससे जुड़े नियम पिछले साल अधिसूचित किए गए थे।

इस संदर्भ में चैनल से संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन संपर्क नहीं हो पाया। यह मामला पठानकोट हमले की कवरेज से जुड़ा हुआ है। समिति ने माना कि ऐसी महत्वपूर्ण सूचना को आतंकवादियों के आका तत्काल लपक सकते थे और इससे न सिर्फ राष्ट्रीय सुरक्षा को बड़ा नुकसान पहुंचता, बल्कि नागरिकों और रक्षा कर्मियों की जान की भी क्षति हो सकती थी।

सूत्रों ने कहा कि इस साल जनवरी में जब आतंकवादियों के खिलाफ अभियान चल रहा था उसी दौरान हवाई अड्डे में गोला-बारूद के भंडार, मिग लड़ाकू विमानों, रॉकेट-लांचर, मोर्टार, हेलीकॉप्टरों, ईधंन-टैंकों के बारे में सूचना के बारे में कथित तौर पर खुलासा किया गया जिनका आतंकवादी अथवा उनके आका व्यापक नुकसान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल कर सकते थे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि प्रसारित सामग्री कार्यक्रम से जुड़े नियमों का उल्लंघन दिखाई पड़ी जिस वजह से चैनल को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

अपने जवाब में चैनल ने कहा कि यह चीजों को अलग तरह से देखने का मामला है तथा जो सूचना उसने दीं उनमें से अधिकांश पहले से ही सार्वजनिक रूप से प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं।

समिति ने चैनल की इस दलील को खारिज कर दिया कि समाचार पत्रों में भी इस तरह की खबरें आई थीं। उसने कहा कि टेलीविजन दृश्य श्रव्य माध्यम है और इसका व्यापक एवं तुरंत असर होता है। मंत्रालय ने इस संदर्भ में अपने आदेश में कहा, समिति अनुशंसा करती है कि टीवी चैनल को कम से कम एक सांकेतिक हर्जाने के रूप में एक दिन के लिए प्रसारण बंद रखने की जरूरत है ताकि वे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ी बड़ी असावधानी और नियम या दिशानिर्देश के उल्लंघन को लेकर पूरी तरह से बच नहीं निकलें। आदेश के अनुसार समिति का कहना था कि उल्लंघन की बात नि:संदेह साबित हुई है। इसमें यह भी कहा गया है कि इस मामले में चैनल के प्रसारण को 30 दिनों तक के लिए बंद करने का दंड हो सकता है।

बहरहाल, जून, 2015 में एक नियम बनाया गया था और पहली बार किसी मामले में इसे लागू किया जा रहा है तथा इसमें कड़ा दंड देने की बात नहीं की गई है। आदेश में इस बात का उल्लेख किया गया है कि अगर आतंकवादी गोला-बारूद के डिपो तक पहुंच जाते हैं तो बड़े पैमाने पर तबाही हो सकती थी। प्रसारण के दौरान संवाददाता ने इसका विवरण दिया था और इसके बावजूद चैनल को कोई खेद नहीं है।

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