निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में चार आरोपियों को मृत्युदंड दिया जा चुका है। इनमें से एक आरोपी विनय शर्मा की दया याचिका राष्ट्रपति खारिज कर चुके हैं। विनय ने इसी अस्वीकृत दया याचिका को चुनौती दी है। उसने इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
चारों आरोपी कानूनी रूप से मौजूद हर विकल्प से फांसी माफ होने की कोशिश कर रहे हैं। इसी कड़ी में इस बार आरोपी इस बार विनय सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। उसने अपने वकील ए पी सिंह के माध्यम से मौत की सजा को आजीवन कारावास की मांग की है। इसके पहले राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद 1 फरवरी को ही विनय की दया याचिका खारिज कर चुके हैं।
फांसी पर लगी है रोक
मुकेश कुमार सिंह, पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं। चारों को मृत्युदंड दिया जा चुका है लेकिन निचली अदालत 31 जनवरी को निर्भया मामले में चारों दोषियों को फांसी दिए जाने पर ‘अग्रिम आदेशों’ तक रोक लगा दी थी।
पवन ने अब तक क्यूरेटिव पिटिशन फाइल नहीं की है। क्यूरेटिव पिटिशन किसी भी व्यक्ति के लिए अंतिम और निर्णायक विकल्प है। इसके अलावा पवन के पास दया याचिका दायर करने का भी विकल्प है।
16 दिसंबर 2012 की रात को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। बाद में उसे ‘निर्भया’ नाम दिया गया। बेहतर इलाज के लिए उसे एयर एम्बुलेंस से सिंगापुर के एक अस्पताल में ले जाया गया था लेकिन वहां भी उसे बचाया नहीं जा सका।
एक छूटा, एक ने की आत्महत्या
इस मामले में चार दोषियों, राम सिंह और एक किशोर सहित छह लोगों को आरोपी बनाया गया था। मार्च 2013 में फास्ट कोर्ट ट्रैक में पांचों वयस्क अपराधियों पर मुकदमा चलाया गया था। बाद में मुख्य अभियुक्त राम सिंह ने जेल में ही फंदा बना कर आत्महत्या कर ली थी जबकि नाबालिग अपनी सजा पूरी कर जेल से बाहर है। नाबालिग जिस पर सबसे ज्यादा क्रूरता का आरोप था, उसे तीन साल सुधार गृह में रखा गया था। नाबालिग को 2015 में रिहा कर अज्ञात स्थान पर भेज दिया गया था। रिहाई के वक्त नाबालिक की उम्र 20 साल हो चुकी थी। जबकि मुकेश, विनय, अक्षय और पवन को ट्रायल कोर्ट ने सितंबर 2013 में मौत की सजा सुनाई थी।