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निर्भया के दोषियों की फांसी फिर टली, अगले आदेश तक अदालत ने लगाई रोक

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर शुक्रवार को...
निर्भया के दोषियों की फांसी फिर टली, अगले आदेश तक अदालत ने लगाई रोक

निर्भया गैंगरेप और मर्डर केस में दोषियों की फांसी की सजा पर रोक लगाने वाली याचिका पर शुक्रवार को पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने अगले आदेश तक फांसी पर रोक लगा दी है। इससे पहले कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था। बता दें कि दोषियों की ओर से याचिका दायर एक फरवरी को होने वाली फांसी की सजा पर रोक लगाने की मांग की गई थी। वहीं, सुनवाई के दौरान तिहाड़ जेल की तरफ से दलील दी गई कि विनय को छोड़कर तीन दोषियों को फांसी दी जा सकती है।

दोषी पवन की याचिका खारिज

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट ने दोषी पवन गुप्ता की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है। दरअसल, पवन ने वारदात के समय खुद के नाबालिग होने का दावा करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

तिहाड़ जेल प्रशासन ने दिया ये तर्क

तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से दलील दी गई कि विनय की दया याचिका लंबित है लिहाजा उसे छोड़कर बाकी तीन का कुछ भी पेंडिंग नहीं है। अन्य को फांसी दी जा सकती है। इसका विरोध करते हुए दोषियों के वकील ने कहा कि जब एक दोषी की याचिका लंबित है तब तक अन्य दोषियों को भी फांसी नहीं दी सकती।

सुप्रीम कोर्ट के जज और राष्ट्रपति भगवान नहीं हैंः वकील

दोषियों के वकील एपी सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के जज और देश के राष्ट्रपति भगवान नहीं हैं, वो भी गलती कर सकते हैं। वकील एपी सिंह का यह बयान आरोपी अक्षय ठाकुर की क्यूरेटिव पेटीशन खारिज होने के बाद आया है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की एक बेंच ने दोषियों की फांसी की सजा को रोकने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने दोषियों को एक फरवरी को फांसी दिए जाने का डेथ वारंट जारी किया था।

दया याचिका खारिज होने के बाद बंद हो जाते हैं कानूनी रास्ते

वहीं, निर्भया की वकील सीमा कुशवाहा का कहना है कि दया याचिका खारिज होने के साथ ही आरोपियों के बचने के सभी कानूनी रास्ते बंद हो जाते हैं। उन्होंने आगे कहा कि दया याचिका लंबित नहीं है, बल्कि यह केवल दायर की गई है। उन्होंने स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर करने से सजा नहीं रुक सकती है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि याचिका न्याय का मजाक है और यह फांसी को टालने की महज एक तरकीब है।

दोषियों के वकील ने दी ये दलील

दोषी अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता के वकील एपी सिंह ने कोर्ट से कहा कि ये दोषी आतंकवादी नहीं हैं। वकील ने जेल मैनुअल के नियम 836 का हवाला दिया जिसमें कहा गया है कि ऐसे मामले में जहां एक से अधिक लोगों को मौत की सजा दी गई है, वहां दोषियों को तब तक फांसी की सजा नहीं दी गई है जब तक उन्होंने अपने कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल ना कर लिया हो। उन्होंने अदालत से फांसी को अनिश्चितकाल के लिए टाल देने को कहा क्योंकि कुछ दोषियों के कानूनी उपचार अभी बाकी हैं।

जेल अधिकारियों से अदालत ने मांगा था जवाब

जेल के अधिकारियों ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा के समक्ष दायर स्थिति रिपोर्ट में इस याचिका का विरोध किया। अदालत ने गुरुवार को जेल अधिकारियों को नोटिस जारी करके दोषियों की याचिका पर जवाब मांगा था। दोषी पवन गुप्ता, विनय कुमार शर्मा और अक्षय कुमार के वकील ए पी सिंह ने अदालत से फांसी पर अनिश्चितकालीन स्थगन लगाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि दोषियों में कुछ के द्वारा कानूनी उपायों का इस्तेमाल किया जाना बचा हुआ है।

एक फरवरी को फांसी देने के लिए हुआ था डेथ वारंट जारी

निचली अदालत ने 17 जनवरी को मामले के चारों दोषियों मुकेश (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को मौत की सजा देने के लिए दूसरी बार ब्लैक वारंट जारी किया था जिसमें एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में उन्हें फांसी देने का आदेश दिया गया। इससे पहले सात जनवरी को अदालत ने फांसी के लिए 22 जनवरी की तारीख तय की थी।

इस दोषी के पास अब कोई विकल्प नहीं

अब तक की स्थिति में दोषी मुकेश ने सभी कानूनी विकल्पों का इस्तेमाल कर लिया है। इसमें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के समक्ष दया याचिका दाखिल करना भी शामिल है। उसकी दया याचिका राष्ट्रपति ने 17 जनवरी को ठुकरा दी थी। मुकेश ने फिर दया याचिका ठुकराए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जिसमें बुधवार को उसकी यह अपील भी खारिज कर दी।

दूसरी ओर, गुरुवार को निर्भया रेप और मर्डर के दोषियों में शामिल अक्षय की क्यूरेटिव याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी थी। पांच जजों की बेंच ने अक्षय की याचिका खारिज की। विनय और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका पहले ही सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। अक्षय तीसरा दोषी है जिसने इस विकल्प का इस्तेमाल करने के लिए अर्जी लगाई, लेकिन गुरुवार को अक्षय की क्यूरेटिव याचिका खारिज होने के बाद अब केवल एक दोषी पवन के पास क्यूरेटिव याचिका दाखिल करने का विकल्प है।

क्या है निर्भया केस

गौरतलब है कि पैरा मेडिकल की 23 वर्षीय छात्रा से 16-17 दिसंबर 2012 की मध्यरात्रि को छह लोगों ने चलती बस में सामूहिक दुष्कर्म किया था और उसे सड़क पर फेंक दिया था। उसे इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया था जहां 29 दिसंबर को उसकी मौत हो गई थी। 

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