राजधानी दिल्ली के साल 2012 के निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्या के मामले में मौत की सजा पाए चार दोषियों में से एक मुकेश कुमार सिंह की फांसी अब तय है, क्योंकि कोर्ट ने उस याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया, जिसमें उसने राष्ट्रपति द्वारा दया याचिका खारिज करने के आदेश को कोर्ट में चुनौती दी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश की याचिका पर कोई भी समीक्षा करने, या कोई भी विचार करने से मना कर दिया है। अदालत ने कहा कि उन्हें नहीं लगता कि उन्हें राष्ट्रपति के फैसले में दखल देने की जरूरत है। इस तरह से अब निर्भया के एक दोषी मुकेश के सभी कानूनी विकल्प खत्म हो चुके हैं और अब उसकी फांसी होना तय है।
राष्ट्रपति ने सभी दस्तावेज देखकर ही फैसला दिया- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि उन्हें राष्ट्रपति के फैसले में कोई जल्दबाजी नजर नहीं आती। उन्होंने सभी दस्तावेज देखकर ही फैसला दिया है। कोर्ट ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि जेल में मुकेश के साथ खराब व्यवहार हुआ यह उसकी दया का आधार नहीं हो सकता। सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि दया याचिका पर शीघ्र कार्रवाई करने का मतलब ये नहीं है कि अच्छे से फैसला नहीं लिया गया है।
राष्ट्रपति का पद बहुत बड़ा और जिम्मेदारी का- सुप्रीम कोर्ट
याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘हमने सरकार की तरफ से दी गई दो फाइल देखी। सभी कोर्ट के जजमेंट और रिकॉर्ड राष्ट्रपति को सौंपे गए थे। राष्ट्रपति ने सभी जरूरी दस्तावेज देखकर फैसला लिया है, इसलिए कोर्ट की दखल की जरूरत नहीं है।’ बेंच ने कहा, ‘राष्ट्रपति का पद बहुत बड़ा और जिम्मेदारी का है। हम मानते हैं कि उन्होंने सोच विचार कर फैसला लिया है।’ वहीं, जेल में मुकेश के शोषण की शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘शोषण की शिकायत पर फांसी की सजा माफ नहीं की जा सकती।’
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही इस मामले में सभी दोषियों को फांसी की सजा सुना दी है। दोषियों को 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी की सजा दी जानी है, लेकिन फांसी की सजा से पहले आज सुप्रीम कोर्ट दोषी मुकेश की याचिका पर अपना फैसला देगा।
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने मुकेश के वकील से इसके लिए तुरंत रजिस्ट्री से संपर्क करने के लिए कहा था। कोर्ट ने कहा था कि अगर किसी को 1 फरवरी को फांसी दी जा रही है, तो ये मामला सर्वोच्च प्राथमिकता में होना चाहिए।
राष्ट्रपति ने खारिज की थी दया याचिका
निर्भया कांड में मौत की सजा पाने वाले दोषियों में से एक मुकेश कुमार सिंह की दया याचिका राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को खारिज की थी। इसके बाद दोषी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती दी है। बता दें कि कोर्ट ने चारों मुजरिमों को एक फरवरी को मृत्यु होने तक फांसी पर लटकाने के लिये आवश्यक वारंट जारी किया था।
25 जनवरी को मुकेश ने दायर की थी याचिका
निर्भया मामले में दोषी फांसी से बचने के लिए रोज नए-नए दांव चल रहे हैं। अब एक दोषी मुकेश सिंह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है। मुकेश की वकील वृंदा ग्रोवर ने राष्ट्रपति के फैसले को चुनौती देते हुए इसकी न्यायिक समीक्षा की मांग की है। ग्रोवर ने बताया कि यह याचिका संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत दी गई है। इसमें सुप्रीम कोर्ट के शत्रुघ्न चौहान मामले में दिए गए फैसले का भी हवाला दिया गया है।
मुकेश ने 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की भी मांग की
बता दें कि मुकेश ने अर्जी में 1 फरवरी के लिए जारी डेथ वारंट पर रोक लगाने की मांग भी की है। इससे पहले निर्भया केस के चार में तीन दोषियों विनय, पवन और अक्षय ठाकुर की ओर से वकील एपी सिंह ने शुक्रवार को दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में याचिका दाखिल कर तिहाड़ जेल प्रशासन से दोषियों से संबंधित कागजात उपलब्ध कराने की मांग की थी। शनिवार को कोर्ट ने सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता को कागजात उपलब्ध करा दिए।
1 फरवरी को सुबह 6 बजे दी जाएगी फांसी
निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा पर अमल के लिए एक फरवरी सुबह 6 बजे का डेथ वारंट जारी हो चुका है, लेकिन फांसी से बचने के लिए दोषी हर तरह के हथकंडे अपना रहे हैं। दोषियों के वकील एपी सिंह ने अदालत में कहा कि जेल प्रशासन को कागजात प्रदान कराने संबंधी निर्देश जारी किए जाएं, जिससे वह फांसी की सजा पाए दोषियों को शेष कानूनी उपचार (उपचारात्मक याचिका और दया याचिका) उपलब्ध करा सके।
सुनवाई के दौरान सरकारी वकील इरफान अहमद ने कोर्ट को बताया कि दोषी के वकील की ओर से मांगे गए दस्तावेज पहले ही मुहैया कराए जा चुके हैं। हमारे पास रसीद भी है। अब दोषियों के वकील एपी सिंह गैरजरूरी दस्तावेजों का हवाला देकर जानबूझकर मामले को लटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
इससे पहले 22 जनवरी को सुबह 7 बजे होनी थी फांसी
इससे पहले उन्हें 22 जनवरी को सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी, लेकिन एक दोषी ने दया याचिका दायर की थी और उसकी दया याचिका खारिज होने के बाद प्रक्रिया के तहत नया डेथ वॉरंट जारी किया गया। चारों दोषियों में मुकेश सिंह, अक्षय ठाकुर, विनय शर्मा और पवन गुप्ता शामिल हैं। एक दोषी ने जेल में ही फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।
जानें क्या है निर्भया केस
बता दें कि 16 दिसंबर 2012 को हुए निर्भया कांड ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया था। 23 वर्षीय निर्भया के साथ चलती बस में गैंगरेप किया गया था और उसकी बुरी तरह पिटाई की थी। बाद में सिंगापुर के अस्पताल में निर्भया की मौत हो गई थी। इसके बाद दिल्ली पुलिस ने मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया था, जिनमें से एक नाबालिग था। नाबालिग को किशोर अदालत के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जबकि राम सिंह ने तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर खुदकुशी कर ली थी। इसके अलावा बाकी 4 दोषियों को फांसी की सजा सुनाई गई है।