केंद्र सरकार एक ऐसा कार्ड लाने की तैयारी में है, जिसके जरिए सभी तरह के परिवहन के किराए दिए जा सकेंगे। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने कहा कि केंद्र सरकार ‘वन नेशन वन कार्ड’ की दिशा में काम कर रही है और जल्द ही इसे लॉन्च कर दिया जाएगा।
देश के किसी भी हिस्से में किया जा सकेगा भुगतान
नीति आयोग ने इस बारे में सभी राज्यों और मामले से जुड़ी कंपनियों से सुझाव मांगे है। इन सुझावों के आधार पर एक देश एक कार्ड की नीति तैयार कर ली जाएगी। इस कार्ड से परिवहन के सभी विकल्पों के किराए का भुगतान किया जा सकेगा। वो चाहे रेल, बस, वाटर वेज, मेट्रो, ओला, उबर, मेरु और ऑटो हो। साथ ही देश के किसी भी हिस्से में एक ही कार्ड के जरिये भुगतान किया जा सकेगा। आयोग के सीईओ के मुताबिक सभी राज्य इसके तकनीकी पहलुओं पर विचार कर अपनी रिपोर्ट सौपेंगे और उनकी रिपोर्ट के आधार पर कार्ड बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा।
भविष्य की परिवहन व्यवस्था पर विचार
नीति आयोग ग्लोबल मोबिलिटी समिट आयोजित कर रहा है और इसी समिट में भविष्य के वाहन कैसे हों इस पर आयोजित कॉन्फ्रेंस में अमिताभ कांत ने ये बातें कहीं। उन्होंने ये भी कहा कि इस समिट और देश का फोकस सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने और वाहनों को शेयर करने जैसे विकल्पों पर विचार करने जैसे मुद्दों पर है। उनके मुताबिक 2025-26 में देश में बैटरी की कीमत में भारी गिरावट होने वाली है, जिसके बाद इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाना न सिर्फ सस्ता हो जाएगा बल्कि नवोन्मेष के भी तमाम मौके बढ़ेंगे।
हालांकि उद्योग जगत सरकार से इलेक्ट्रिक वाहनों को बनाने के लिए जरूरी आधारभूत संरचना तैयार करने में आ रही दिक्कतों को तुरंत दूर करने की मांग कर रहा है। कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री यानी सीआईआई ने अपनी तरफ से एक मसौदा तैयार किया है।
इसमें सिफारिश की गई है कि सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए बिजली चार रुपये प्रति यूनिट की दर से मुहैया कराए। साथ ही इन गाड़ियों और उनके पुर्जों पर लगने वाले जीएसटी की दर घटाकर पांच फीसदी की जाए। उद्योग जगत का मानना है कि इलेक्ट्रिक वाहनों पर सड़क कर घटाकर छह फीसदी किया जाता है, तो इससे क्षेत्र को मजबूती मिलेगी।