दुनिया की 170 जानी-मानी हस्तियों ने संयुक्त राष्ट्र, जी-20 देशों और विभिन्न देशों की सरकारों को कोविड-19 के दौर में खाद्य और पोषण सुरक्षा पर खुला पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि खाद्य और पोषण सुरक्षा पर कोविड-19 के मध्यम और दीर्घावधि में पड़ने वाले असर का समाधान किया जाना चाहिए। कोविड महामारी से दुनियाभर में जो संकट पैदा हुआ है उससे सप्लाई चेन पूरी तरह बिगड़ गई है। इससे भूख और कुपोषण को लेकर चुनौतियां खड़ी हो गई हैं। पत्र में संयुक्त राष्ट्र द्वारा 2015 में अपनाए गए टिकाऊ विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अति सक्रियता दिखाने और मिलजुलकर कदम उठाने को कहा गया है।
पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में भारत के पूर्व योजना मंत्री योगेंद्र अलघ, मिस्र के पूर्व कृषि मंत्री अमीन अबाजा, पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री शौकत अजीज, अल्बानिया के पूर्व प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति सली बेरिशा, मेडागास्कर के पूर्व प्रधानमंत्री ज्यां बेरिशी, शांति का नोबेल पाने वाले वाइडेड बाउचरमाओई और मोहम्मद युनुस, उक्रेन के पूर्व राष्ट्रपति विक्टर युशचेन्कोव, वर्ल्ड फूड प्राइज के सुरिंदर के. वासल, इरी फिलिपींस के पूर्व महानिदेशक एम.एस. स्वामीनाथन, आईसीएआर के पूर्व महानिदेशक राजेंद्र एस. परोदा और इक्रीसैट के महानिदेशक पीटर कार्बेरी भी शामिल हैं।
खाद्य प्रणाली संकट में, लोग चुका रहे हैं ज्यादा कीमत
पत्र के अनुसार कोविड-19 महामारी पूरी दुनिया के लिए बड़ा स्वास्थ्य संकट है, लेकिन दुनिया कि खाद्य प्रणाली भी बड़े संकट से जूझ रही है। उपभोक्ता ज्यादा कीमत चुका रहे हैं, सप्लाई चेन बुरी तरह बाधित हो गई है, स्कूलों में बच्चों को जो भोजन दिया जाता है उससे वे वंचित हो रहे हैं और खाद्य सहायता पर निर्भर परिवार संघर्ष कर रहे हैं। किसान अपनी उपज कहीं बेच नहीं पा रहे हैं। वे तैयार फसल की कटाई और अगले सीजन में नई फसल की बुवाई को लेकर चिंतित हैं। कुछ सरकारों ने निर्यात पर पाबंदी और आयात पर बंदिशें लगाकर इस संकट का समाधान तलाशने की कोशिश की है, लेकिन इससे दाम बढ़ेंगे। इससे देशों के बीच व्यापार को लेकर तनाव भी बढ़ेगा। कोविड-19 के चलते यह तनाव पहले ही काफी अधिक है। दुनियाभर की सरकारों को व्यापार जारी रखना चाहिए।
खाद्य आपूर्ति सुधारने की अब तक की पहल नाकाफी
कुछ देशों ने खाद्य आपूर्ति सुधारने जैसी मानवीय पहल की है, जिनकी प्रशंसा की जानी चाहिए, हालांकि ये उपाय नाकाफी हैं। आने वाले दिनों में ऐसे उपाय किए जाने चाहिए जिनसे तैयार फसलों की कटाई सुनिश्चित हो और नई फसल की बुवाई हो सके। खाद्य संग्रह और वितरण के लिए ऐसी सक्षम प्रणाली तैयार की जाए जिससे भूखे लोगों, खासकर महिलाओं और बच्चों, को पोषक भोजन उपलब्ध कराया जा सके।
आईएमएफ, विश्व बैंक, खाद्य एवं कृषि संगठन समेत दुनिया की विभिन्न संस्थाओं ने जिन चुनौतियों की बात कही है पत्र में उनसे सहमति जताई गई है। इसमें कहा गया है कि वर्ल्ड फूड प्राइज और दूसरे प्रमुख रिसर्च संस्थान दुनिया को सही दिशा में ले जाना चाहते हैं। इसके लिए अंतर्राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान एवं खाद्य सुरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाना जरूरी है।
महिलाओं को पोषण मिले, इसका फायदा पूरे परिवार को
पत्र में कहा गया है कि पोषण हर मनुष्य के लिए महत्वपूर्ण है। महिलाओं के लिए स्वास्थ्य एक मानवाधिकार के समान है। अच्छे स्वास्थ्य और सशक्तीकरण के लिए जरूरी है कि उन्हें अच्छा पोषक भोजन मिले। स्वास्थ्य के प्रति महिलाओं की जागरूकता का फायदा पूरे परिवार को मिलता है। पोषणयुक्त आहार लेने वाली महिलाओं के बच्चे भी स्वस्थ होंगे। इस तरह पोषक भोजन और कृषि को समर्थन से पूरे परिवार के लिए पोषण की सुरक्षा सुनिश्चित होती है। कोविड-19 से लड़ाई में इस बात का ध्यान रखा जाना चाहिए कि सभी महिलाओं, बच्चों और पुरुषों की जरूरतें पूरी हों, कमजोर वर्ग के लोगों की भी।
कृषि पर महामारी का असर दो साल तक दिख सकता है
कोविड-19 के चलते आपूर्ति में आई बाधा अगले छह महीने से दो साल तक कृषि क्षेत्र को प्रभावित करेगी। इसलिए अभी से इस बात के लिए कदम उठाने की आवश्यकता है कि आने वाले दिनों में जब भी किसानों को जरूरत हो, उन्हें पर्याप्त कर्ज और बीज, खाद और कीटनाशक आदि उपलब्ध कराया जा सके। परिवहन, भंडारण और वितरण प्रणाली को बढ़ाने की जरूरत है। बदलती मांग के अनुरूप उत्पादन व्यवस्था को भी बदलने की क्षमता होनी चाहिए। विश्व बैंक, खाद्य एवं कृषि संगठन, वर्ल्ड फूड प्रोग्राम समेत अनेक वैश्विक संस्थाओं ने कृषि और खाद्य सुरक्षा बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है और अब भी निभा रही है। यूरोपियन यूनियन और अफ्रीकन यूनियन जैसे क्षेत्रीय संगठनों को भी बड़ी भूमिका निभाने की जरूरत है, क्योंकि इनकी मौजूदगी 130 से ज्यादा देशों में है।