एलजी और दिल्ली सरकार के बीच अधिकारों को लेकर चल रहे विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने कहा है कि उपराज्यपाल दिल्ली में फैसला लेने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं, एलजी को कैबिनेट की सलाह के मुताबिक ही काम करना होगा।
कोर्ट के फैसले के बाद इस मामले पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आनी भी शुरू हो गई हैं। जहां सीएम केजरीवाल ने इस फैसले को दिल्ली के लोगों के लिए बड़ी जीत बताई है तो मनीष सिसोदिया ने कहा कि अब सारी फाइलें एलजी को भेजने की जरूरत नहीं है। वहीं, बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि अगर दिल्ली सरकार देश की सुरक्षा के खिलाफ फैसला लेती है तो उसका एलजी को विरोध करना चाहिए।
सरकार और उपराज्यपाल मिलकर काम नहीं करेंगे तो दिल्ली को परेशानी होगी: शीला दीक्षित
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीक्षा दीक्षित ने केजरीवाल और एलजी विवाद पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले पर कहा, ‘मुझे लगता है कि सुप्रीम कोर्ट ने जो भी कहा वो बहुत स्पष्ट है। सरकार और उपराज्यपाल मिलकर काम नहीं करेंगे तो दिल्ली को परेशानी होगी। कांग्रेस करीब 15 सालों तक दिल्ली में सरकार में रही लेकिन उस दौरान इस तरह की कोई परेशानी नहीं हुई’।
आरोप-प्रत्यारोप के खेल को खत्म कर दिल्ली का विकास करें: माकन
वहीं, कोर्ट द्वारा फैसला आने के बाद दिल्ली के कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने कहा, ‘अब जबकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में शक्तियों के बारे में स्पष्ट कर दिया है, हम उम्मीद करते हैं कि जो दिल्ली में विकास कार्य रुक गए थे, वे दोबारा शुरू हो जाएंगे। उपराज्यपाल और मुख्यमंत्री आरोप-प्रत्यारोप के खेल को खत्म करें और दिल्ली का विकास करें, जैसाकि हमने 15 साल पहले किया था’।
चिदंबरम का LG से सवाल, अपने सियासी आकाओं से गुमराह क्यों हुए?
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने सुप्रीम कोर्ट न्यायालय के फैसले को ‘प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र के लिए जबरदस्त जीत’ करार दिया और कहा कि इस कानूनी लड़ाई की शुरूआत के लिए केंद्र सरकार में जो भी जिम्मेदार है उसे जिम्मेदारी स्वीकार करनी चाहिए।
चिदंबरम ने ट्वीट कर कहा, ‘दिल्ली सरकार बनाम उप राज्यपाल मामले में उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करता हूं। यह प्रतिनिधिमूलक लोकतंत्र के लिए जबरदस्त जीत है।’
चिदंबरम ने सवाल किया, ‘उप राज्यपाल (अच्छे ट्रैक रिकॉर्ड वाले) ने अपने राजनीतिक आकाओं द्वारा कानून के संदर्भ में खुद को क्यों गुमराह होने दिया।’ उन्होंने कहा, ‘कानूनी लड़ाई की शुरूआत के लिए केंद्र सरकार में जो भी जिम्मेदार है उसे जिम्मेदारी लेनी चाहिए, लेकिन वो ऐसा कुछ भी नहीं करेंगे।’
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद आम आदमी पार्टी के दफ्तर में जश्न का माहौल-
पार्टी के कार्यकर्ता और नेता मिठाई बांटकर जश्न मना रहे हैं। मुख्यमंत्री आवास पर कार्यकर्ताओं ने मिठाई बांटकर जश्न मनाया।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिल्ली की चुनी हुई सरकार के पक्ष में फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री आवास में कार्यकर्ताओं ने मनाया जश्न!#जनता_की_जीत1">pic.twitter.com/NOzmaACPe1
— AAP (@AamAadmiParty) July 4, 2018
एलजी कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें: सुप्रीम कोर्ट
एलजी और दिल्ली सरकार के बीच चल रहे मतभेद के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सरकार जनता के प्रति जवाबदेह होनी चाहिए, उसे जनता के लिए उपलब्ध होना चाहिए। केंद्र और राज्य को साथ मिलकर काम करना होगा। कोर्ट ने कहा कि संघीय ढांचे में राज्यों को स्वतंत्रता दी गई है, लिहाजा एलजी कैबिनेट की सलाह और सहायता से काम करें।
केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि उपराज्यपाल ही दिल्ली के प्रशासनिक मुखिया हैं और कोई भी निर्णय उनकी मंजूरी के बिना नहीं लिया जाए।
‘आप’ सरकार उपराज्यपाल के साथ अधिकारों की लड़ाई लंबे समय से जारी रही है। पहले तत्कालीन एलजी नजीब जंग और केजरीवाल सरकार के बीच टकराव सामने आया। इसके बाद केजरीवाल ने जंग की तुलना तानाशाह हिटलर तक से की। उसके बाद दिसंबर, 2016 में अनिल बैजल के उपराज्यपाल बनने के बाद भी यह लड़ाई चल रही है।
मुख्य सचिव अंशु प्रकाश के साथ मारपीट के बाद अधिकारियों की हड़ताल और घर-घर राशन वितरण की योजना को मंजूरी नहीं देने पर भी विवाद रहा। यही कारण है कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल हमेशा उपराज्यपाल पर फाइलें अटकाने का आरोप लगाते जड़ते हैं। हाल ही में वो अपने तीन मंत्रियों के साथ 9 दिनों तक एलजी ऑफिस में धरने पर बैठे थे।