Advertisement

समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सत्य के साथ खड़े नहीं होते: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सच के लिए खड़े होने को तैयार नहीं...
समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सत्य के साथ खड़े नहीं होते: सुप्रीम कोर्ट

उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सच के लिए खड़े होने को तैयार नहीं हैं। न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार से पूछा कि वह 2017 के भिवंडी पार्षद हत्या मामले में मौखिक गवाही के लिए बड़ी संख्या में गवाहों पर क्यों निर्भर है।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ कांग्रेस पार्षद हत्या मामले के कथित मुख्य साजिशकर्ता प्रशांत भास्कर महात्रे की जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी। पीठ ने राज्य के वकील को महत्वपूर्ण गवाहों की सूची प्रस्तुत करने का निर्देश दिया, जिनकी जांच कर मामले में आरोपियों को दोषी साबित करने की योजना बनाई गई है।

बयान के बाद सरकारी पीठ ने कहा, "समाज के बिगड़ते चरित्र के कारण आजकल लोग सत्य के लिए खड़े होने को तैयार नहीं हैं। आप इतने सारे गवाहों की गवाही पर भरोसा क्यों कर रहे हैं? हां, गैंगस्टरों द्वारा गवाहों पर दबाव डालने का खतरा है, जो बाद में मुकर जाते हैं, क्योंकि दुर्भाग्य से इस देश में गवाह सुरक्षा कार्यक्रम नहीं है।" उन्होंने दलील दी कि उन्हें आरोपपत्र में बताए गए 200 गवाहों में से 75 से पूछताछ करने की जरूरत है।

पीठ ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा मामले में महत्वपूर्ण गवाहों की सूची प्रस्तुत करने के बाद वह मुकदमे को शीघ्र पूरा करने के लिए समय-सीमा तय करेगी। राज्य सरकार के वकील ने कहा कि बंबई उच्च न्यायालय में जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 14 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 10 अपने बयान से पलट गए।

पीठ ने वकील से महात्रे के आपराधिक इतिहास के बारे में पूछा, जिस पर उन्होंने बताया कि आरोपी पर दर्जन भर से अधिक मामले दर्ज हैं। महात्रे के वकील ने कहा कि उनके खिलाफ दर्ज कई मामलों में उन्हें बरी कर दिया गया है और अदालत से उन्हें जमानत देने का आग्रह किया क्योंकि वह 2017 से जेल में हैं।

पीठ ने महात्रे के वकील से कहा, "यहां से किसी चमत्कार की उम्मीद मत कीजिए। हम चाहते हैं कि आपके मुकदमे में तेजी आए। हम चाहते हैं कि समाज में शांति रहे। अगर आप जेल से बाहर आ गए तो बहुत से लोगों की रातों की नींद उड़ जाएगी।" न्यायमूर्ति कांत ने कहा कि अदालत तकनीकी दृष्टि से मामले की निगरानी नहीं कर रही है, बल्कि इसका पर्यवेक्षण कर रही है, ताकि मामले में सुनवाई में तेजी लाई जा सके।

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने 7 फरवरी को महात्रे की जमानत याचिका खारिज करते हुए कहा था, "...सभी आरोपियों के इकबालिया बयानों से संकेत मिलता है कि उक्त आवेदक को वर्तमान मामले में मुख्य साजिशकर्ता कहा जा सकता है।" इसने महात्रे के ड्राइवर के बयान का हवाला दिया था जिसमें कहा गया था कि पीड़ित का चचेरा भाई होने के नाते उसके साथ उसकी लंबे समय से राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता थी और इससे पहले भी एक अवसर पर उक्त आवेदक ने अन्य लोगों के साथ मिलकर 2013 में पीड़ित पर हमला किया था।

उच्च न्यायालय ने कहा, "...रिकॉर्ड पर उपलब्ध सामग्री से प्रथम दृष्टया आवेदक के खिलाफ मुख्य साजिशकर्ता होने का मामला बनता है, जिसने अन्य आरोपियों को पीड़ित पर क्रूर हमला करने के लिए अपने साथ शामिल होने के लिए प्रेरित किया, जिसके परिणामस्वरूप उसकी मृत्यु हो गई। इसे खारिज किया जाता है।" एफआईआर के अनुसार, पीड़ित मनोज महात्रे, जो भिवंडी-निजामपुर नगर निगम में तीन बार कांग्रेस पार्टी से पार्षद रह चुके हैं, पर 14 फरवरी, 2017 को आग्नेयास्त्रों और दरांती तथा चाकू से घटनास्थल पर ही बेरहमी से हमला किया गया था, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे।

मनोज के ड्राइवर द्वारा दर्ज कराई गई एफआईआर में कहा गया है कि हमले के बाद आरोपी मौके से भाग गए और उनमें से कुछ स्विफ्ट कार में सवार होकर भाग गए, जो उन्हें भागने में मदद करने के लिए बाहर इंतजार कर रहे थे। बाद में पुलिस ने इस मामले में पीड़िता के चचेरे भाई प्रशांत भास्कर महात्रे और सात अन्य को गिरफ्तार कर लिया।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad