राष्ट्रपति भवन से इंडिया गेट के बीच के मार्ग ‘कर्तव्य पथ’ का गुरुवार को पीएम मोदी ने उद्धाटन किया। अब तक इसे ‘राजपथ’ कहा जाता था। पीएम ने साथ ही इंडिया गेट के पास नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा का भी अनावरण किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर भारत नेताजी सुभाष चंद्र बोस के बताए रास्ते पर चलता तो वह नई ऊंचाई पर पहुंच जाता। दुख की बात है कि उन्हें भुला दिया गया।
पीएम ने कहा कि गुलामी का प्रतीक किंग्सवे या राजपथ अब इतिहास बन गया है। राजपथ ब्रिटिश राज के लिए था, जिनके लिए भारत के लोग गुलाम थे. राजपथ की भावना भी गुलामी का प्रतीक थी, उसकी संरचना भी गुलामी का प्रतीक थी। आज इसका आर्किटैक्चर भी बदला है और इसकी आत्मा भी बदली है। उन्होंने कहा कि पिछले 8 सालों में हमने कई ऐसे फैसले लिए हैं जिन पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की छाप थी। वह 'अखंड भारत' के पहले प्रमुख थे जिन्होंने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में 1947 से भी पहले राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
उन्होंने कहा कि कि कर्तव्य पथ केवल ईंट-पत्थरों का रास्ता भर नहीं है. यह भारत के लोकतांत्रिक अतीत और सर्वकालिक आदर्शों का जीवंत मार्ग है। यहां जब देश के लोग आएंगे, तो नेताजी की प्रतिमा, नेशनल वार मेमोरियल, ये सब उन्हें कितनी बड़ी प्रेरणा देंगे, उन्हें कर्तव्यबोध से ओत-प्रोत करेंगे।
पीएम ने कहा कि आज, देश ने विभिन्न कानूनों को बदल दिया है जो अंग्रेजों के समय से थे। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के माध्यम से अब देश के युवाओं को विदेशी भाषा की मजबूरी से मुक्त किया जा रहा है। भारतीय बजट, जो इतने दशकों से ब्रिटिश संसद के समय का अनुसरण कर रहा था, उसका समय और तारीख भी बदली गई है।
पीएम कहा कि आज के इस अवसर पर मैं अपने उन श्रमिक साथियों का विशेष आभार व्यक्त करना चाहता हूं, जिन्होंने कर्तव्यपथ को केवल बनाया ही नहीं है, बल्कि अपने श्रम की पराकाष्ठा से देश को कर्तव्य पथ दिखाया भी है। मैं देश के हर एक नागरिक का आह्वान करता हूं, आप सभी को आमंत्रण देता हूं।