पीएनबी घोटाले में शनिवार को सीबीआई ने पहली गिरफ्तारी की। 3 आरोपियों गोकुलनाथ शेट्टी, मनोज करात, हेमंत भट्ट को अरेस्ट कर विशेष अदालत में पेश किया गया था, जहां तीनों की 14 दिन के लिए CBI रिमांड पर भेज दिया है। अब 3 मार्च तक CBI इन तीनों से कई राज उगलवाएगी।
पीटीआई के मुताबिक, पूछताछ के दौरान आरोपियों ने कई बड़े खुलासे किए हैं। सीबीआई सूत्रों के अनुसार, गिरफ्तार बैंक अफसरों ने यह बताया है कि प्रत्येक लेटर ऑफ अंडरटेकिंग (LoU) जारी करने के बदले इस मामले से जुड़े सभी बैंक अधिकारियों को कमीशन मिलता था। एलओयू के अमाउंट के आधार पर कमीशन का प्रतिशत फिक्स था।
आरोपी नहीं कर रहे सहयोग
वहीं, सीबीआई का यह भी कहना है कि इस फ्रॉड में गिरफ्तार किए गए आरोपी जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं। दूसरी ओर, ईडी ने इस मामले में रायपुर में गीतांजलि स्टोर पर छापेमरी की है। बैंकिंग इतिहास में इस सबसे बड़े घोटाले में नीरव मोदी के बाद सबसे ज्यादा सुर्खियों में गोकुलनाथ शेट्टी का ही नाम है। शेट्टी पिछले साल मई में ही पंजाब नेशनल बैंक से डिप्टी मैनेजर के पद से रिटायर हुए थे।
कैसे हुआ सारा घोटाला
जांच में पता चला कि मार्च 2010 से बैंक के फॉरेक्स डिपार्टमेंट में काम कर रहे डिप्टी मैनेजर गोकुलनाथ शेट्टी ने विंडो ऑपरेटर मनोज खरात नाम के साथ मिलकर नीरव की कंपनियों को फर्जी तरीके से एलओयू (लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग) दिया। यह हेराफेरी पकड़ में न आए, लिहाजा बैंक के रिकॉर्ड में इसकी एंट्री भी नहीं की गई थी।
बाद में इन्हीं जाली एलओयू के आधार पर एक्सिस और इलाहाबाद जैसे बैंकों की विदेशी शाखाओं ने बैंक को डॉलर में लोन दिए थे। इन लोन का इस्तेमाल बैंक के नोस्ट्रो अकाउंट्स की फंडिंग के लिए किया गया था। इन अकाउंट्स से फंड को विदेश में कुछ फर्मों के पास भेजा गया, जो नीरव मोदी की कंपनी से ताल्लुक रखती थीं।