शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन लोकसभा में मंगलवार को दिल्ली-एनसीआर में बढ़ रहे प्रदूषण के मसले पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि हर साल जब प्रदूषण का मुद्दा होता है, तो इस पर सरकार और इस सदन से कोई आवाज क्यों नहीं उठती? क्यों लोगों को इस मुद्दे पर हर साल सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना पड़ता है? यह गंभीर चिंता का विषय है।
मनीष तिवारी ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि आज यह सदन राष्ट्र को संदेश देता है कि इस मुद्दे के प्रति यह सदन संवेदनशील और गंभीर है जिसमें वे अपने प्रतिनिधि को चुनकर भेजते हैं। उन्होंने कहा कि न केवल वायु प्रदूषण बल्कि हमारी नदियाँ भी आज प्रदूषित हैं।
'प्रदूषण पर भी बने कमेटी'
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा कि जिस तरह कमेटी ऑन पब्लिक अंडरटेकिंग्स और एस्टिमेट्स कमेटी हैं, ठीक वैसे ही प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन पर भी एक कमेटी होनी चाहिए। चर्चा के दौरान दिल्ली के सात भाजपा सांसदों में रमेश विधूड़ी और हंसराज हंस मौजूद नहीं थे।
क्या स्वच्छ हवा मिशन नहीं हो सकताः काकोली घोष
मास्क लगाकर संसद पहुंची टीएमसी सांसद काकोली घोष दस्तीदार ने कहा कि दुनिया के 10 प्रदूषित शहरों में 9 भारत में हैं। क्या जैसे स्वच्छ भारत मिशन है, वैसे ही क्या हम स्वच्छ हवा मिशन लॉन्च कर सकते हैं। इसके साथ ही उन्होंने यह भी पूछा कि क्या हमारा अधिकार नहीं है कि हमें सांस लेने के लिए स्वच्छ हवा मिले।
'पराली जलाना नहीं प्रदूषण का प्रमुख कारण'
भाजपा, कांग्रेस और बीजू जनता दल के सदस्यों ने दावा किया कि दिल्ली एनसीआर में पराली जलाना प्रमुख कारण नहीं है। भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा ने कहा कि दिल्ली की आप सरकार पराली जलाने को प्रमुख कारण बता रही है जबकि सरकार ने प्रदूषण के अन्य कारण धूल और वाहनों की अनदेखी की। बीजद की पिनाकी मिश्रा ने पराली का प्रदूषण में बड़ा योगदान नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि किसानों को पराली जलाने के बजाय इसका इस्तेमाल बायैगैस या ईंधन से हो जाना चाहिए। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने कहा कि प्रदूषण में पराली नहीं बल्कि दिल्ली सरकार की निष्क्रियता रही है। दिल्ली सरकार ने विज्ञापनों पर 600 करोड़ रुपये खर्च किए गए लेकिन प्रदूषण पर लगाम लगाने के लिए ठोस कदम नहीं उठाए।
एक्यूआई में हो रही है लगातार बढ़ोतरी
दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को लेकर जहां लोग परेशानी का सामना कर रहे हैं। वहीं इस पर राजनीति भी जारी है। दिवाली के बाद से एक्यूआई लगातार बढ़ता जा रहा है। धुंध की वजह से सांस लेने में मुश्किल हो रहा है।
इससे पहले सोमवार को राजधानी दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों में वायु प्रदूषण के खतरनाक स्तर को देखते हुए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने संबंधित राज्यों के शीर्ष अधिकारियों के साथ सोमवार को बैठक की में दिल्ली, पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव ने इसमें हिस्सा लिया।
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी फटकार
सुप्रीम कोर्ट भी प्रदूषण को लेकर सुनवाई कर चुका है। केंद्र सरकार ने हलफनामा दायर कर वायु प्रदूषण का डेटा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि एयर क्लीनिंग डिवाइस को लगाने के लिए कितना समय लगेगा? चीन ने कैसे किया? कोर्ट में विशेषज्ञ ने बताया कि हमारे यहां 1 किलोमीटर वाला डिवाइस है, चीन में 10 किलोमीटर तक कवर करता है।
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से पूछा कि ये बताइए कि ऑड-ईवन से वायु प्रदूषण को लेकर कोई फायदा हुआ है या नहीं? दिल्ली सरकार ने कोर्ट में कहा कि 10 अक्टूबर से हवा बेहद खराब हो गई। कोर्ट ने कहा कि हम इस बात को लेकर चिंतित है कि जब प्रदूषण स्तर अपने चरम पर है और आपने ऑड-ईवन लागू किया है तो इसका क्या असर हुआ है? दिल्ली सरकार का आंकड़ा देखने के बाद कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन से प्रदूषण पर कोई असर नहीं पड़ा।