राजधानी दिल्ली में मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल (एलजी) के बीच जारी अधिकारों की लड़ाई अब राज्यसभा तक आ पहुंची है। सपा सांसद ने सीएम के सपोर्ट में कहा कि दिल्ली के एलजी, केजरीवाल के साथ चपरासी की तरह बर्ताव करते हैं।
सपा सासंद की तरफ से इस तरह के बयान के बाद राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन पीजे कुरियन ने हाउसिंग एंड अरबन अफेयर्स मिनिस्टर हरदीप सिंह पुरी से कहा कि वो केजरीवाल और एलजी अनिल बैजल के बीच टकराव दूर करने की कोशिश करें।
बता दें कि पिछले दिनों केजरीवाल को मेट्रो की मेजेंटा लाइन के उद्घाटन में नहीं बुलाया गया। वहीं, एलजी ने दिल्ली सरकार के होम डिलिवरी सर्विस के फैसले पर रोक लगाई थी।
राज्यसभा में गुरुवार को दिल्ली से जुड़े एक बिल पर चर्चा चल रही थी। इसी दौरान कई सांसदों ने केजरीवाल को मेट्रो की मेजेंटा लाइन के उद्घाटन समारोह में नहीं बुलाने का मुद्दा उठाया। कुछ ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों की लड़ाई का जिक्र किया।
पीटीआई के मुताबिक, इस पर डिप्टी चेयरमैन कुरियन ने केंद्रीय मंत्री हरदीप पुरी से कहा कि कृपया आप दोनों के बीच इस टकराव का हल निकालने की कोशिश करें। पुरी ने कहा कि 40 साल की पब्लिक सेक्टर लाइफ में मैंने आतंकवादियों तक से समझौते के लिए बातचीत की कोशिश की है। यह मेरे लिए बड़ा चैलेंज है। दोनों को लंच पर बुलाकर कोई हल निकालूंगा।
सांसद राज गोपाल वर्मा ने कहा कि जब मुझे बताया गया कि मेट्रो के यूपी में पड़ने वाली लाइन का उद्घाटन किया गया तो मैं चुप रहा, लेकिन सभी लोग इस बात के विरोध में हैं कि जब दिल्ली मेट्रो ने इसे बनाया है तो वहां के सीएम को क्यों नहीं बुलाया। यह गलत परंपरा है। उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने एक बार प्रोग्राम में हिस्सा लेने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इसमें राज्य के सीएम को नहीं बुलाया गया था। आज भी इसी परंपरा को लेकर चलना चाहिए।
इसी दौरान टीएमसी, सीपीएम, सीपीआईएम सांसद भी आमंत्रण नहीं देने के मुद्दे पर केजरीवाल के समर्थन आए। सीपीएम के टीके रंगराजन ने कहा कि दिल्ली की तरह पुड्डुचेरी में भी उप राज्यपाल का राज चल रहा है।
केंद्रीय मंत्री और दिल्ली के सांसद विजय गोयल ने आप सरकार के द्वारा अवैध कॉलोनियों को रेग्यूलर नहीं करने का मुद्दा उठाया। इससे जुड़े बिल पर चर्चा में समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल भी शामिल हुए। अग्रवाल ने कहा कि दिल्ली सरकार को काम करने और फैसले लेने की आजादी नहीं है। उपराज्यपाल दिल्ली के सीएम के साथ एक चपरासी की तरह बर्ताव करते हैं। दिल्ली में एक चुनी हुई सरकार है, उसे काम करने का अधिकार मिले। क्यों बीजेपी नहीं चाहती है कि दिल्ली भी बनारस की तरह मॉडल सिटी बने।